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पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) के तहत भारत समेत विश्व के कम से कम 10 देशों में पेगासस स्पाइवेयर की मदद से पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, कानूनविदों समेत कई प्रमुख लोगों की जासूसी के खुलासे ने सर्विलांस की वैधता और निजता के अधिकार पर इसके प्रभाव से जुड़े गंभीर सवालों को खड़ा किया है.
ऐसे में सवाल है कि क्या भारत में सरकार के पास सर्विलांस का लीगल रूट है और अगर है तो वह क्या है ?
भारत में सरकारों के पास वैध 'जासूसी' का भी विकल्प मौजूद है. भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2000 में मौजूद प्रावधान केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को फोन कॉल, ईमेल ,व्हाट्सएप मैसेज आदि सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन को सुनने की अनुमति देते हैं.
यह कानून नामित अधिकारी को किसी भी डिवाइस को सर्विलांस पर रखने का अधिकार देता है अगर उस अधिकारी को यह लगे कि "भारत की संप्रभुता-अखंडता ,राज्य की सुरक्षा, विदेशी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, पब्लिक ऑडर या किसी अपराध को रोकने के लिए" ऐसा करना जरूरी है.
इसी तरह सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट, 2000 की धारा 69 और आईटी (प्रोसीजर फॉर सेफगार्ड फॉर इंटरसेप्शन,मॉनिटरिंग एंड डिस्क्रिप्शन ऑफ़ इनफार्मेशन) रूल्स, 2005 एजेंसी को मोबाइल फोन सहित किसी भी कंप्यूटर रिसोर्स की निगरानी के लिए आदेश जारी करने का अधिकार देता है.
IT एक्ट, 2000 की धारा 69 के अनुसार- "भारत की संप्रभुता-अखंडता,राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या पब्लिक ऑर्डर के हित में या उपरोक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध की जांच के लिए" सर्विलांस की अनुमति होगी.
सर्विलांस पर पहला सबसे बड़ा जजमेंट 1964 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया था. 'खड़क सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य' मामले में 7 जजों वाली पीठ ने निर्णय दिया कि सरकार द्वारा सर्विलांस अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है क्योंकि ऐसा कोई भी कानून नहीं है जिसके तहत 'फिजिकल सर्विलांस' की मंजूरी हो.
सुप्रीम कोर्ट निर्णय में जस्टिस चेलमेश्वर ने प्राइवेसी के मामले में सरकार के दखल के संबंध में चार परीक्षण के प्रयोग की बात कही:
राज्य अगर मनमानी कार्रवाई करता है तो अनुच्छेद 14 के तहत उसकी तर्कसंगतता की जांच हो सकती है.
सरकार अगर अश्लीलता या पब्लिक ऑर्डर का हवाला देती है तो अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के तहत उसकी जांच की जा सकती है.
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामले में सरकार की कार्रवाई की न्यायसंगतता, निष्पक्षता और उचित तरीके की जांच अनुच्छेद 21 के अंतर्गत की जा सकती है.
ऐसे मामलों में जहां राज्य का हित अत्यधिक दिख रहा हो, वहां उसकी उच्चतम स्तर की जांच की आवश्यकता है.
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Published: 20 Jul 2021,11:18 PM IST