Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SC में Pegasus जासूसी केस: जानिए किस- किसने लगाई याचिका और क्या है इनकी गुहार

SC में Pegasus जासूसी केस: जानिए किस- किसने लगाई याचिका और क्या है इनकी गुहार

5 अगस्त को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले की सुनवाई होगी.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>पत्रकार परंजॉय ठाकुरता, एन राम, सांसद ब्रिटास ने दायर की याचिका</p></div>
i

पत्रकार परंजॉय ठाकुरता, एन राम, सांसद ब्रिटास ने दायर की याचिका

(फोटो :क्विंट हिंदी)

advertisement

पेगासस (Pegasus spyware) के जरिए पत्रकारों, नेताओं, समाजिक कार्यकर्ताओं की फोन टैपिंग हुई या नहीं? अगर फोन के जरिए जासूसी हो रही थी तो ये करा कौन रहा था? क्या निजता का अधिकार मायने नहीं रखता है? अब भले ही संसद में सरकार इस मामले पर बहस नहीं कर रही हो, लेकिन ऐसे कई सवालों के साथ पेगासस का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले को सुनने को राजी है. 5 अगस्त को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी है.

कौन लोग पहुंचे सुप्रीम कोर्ट?

पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अबतक 5 याचिकाएं दायर की गई हैं.

सीनियर पत्रकार एन राम और शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया , CPI(M) से राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, वकील एमएल शर्मा और पत्रकार परंजॉय ठाकुरता के साथ एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और एक्टिविस्ट इप्सा शताक्षी ने ये याचिका दाखिल की है.

बताया जा रहा है कि इनमें से तीन सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच के सामने 5 अगस्त को लिस्ट की जाएंगी. बाकी को भी इसमें जोड़ा जा सकता है. आइए आपको बताते इन याचिकाओं में क्या है?

1. याचिकाकर्ता -एन राम और शशि कुमार

पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने याचिका पेश की है. याचिका में कहा गया है कि कथित जासूसी भारत में विरोध की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाने की एजेंसियों और संगठनों की कोशिश है.

वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा या रिडायार्ड जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र जांच के लिए निर्देश देने की मांग की है.

बता दें कि ऑनलाइन न्यूज वेबसाइट द वायर द्वारा 'पेगासस प्रोजेक्ट' के तहत प्रकाशित रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पिछले कुछ सालों में कई पत्रकार, कार्यकर्ता, विपक्षी नेता और वर्तमान केंद्रीय मंत्री भी निगरानी के संभावित लक्ष्य हो सकते हैं.

दोनों पत्रकारों की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया,

‘सैन्य-ग्रेड स्पाइवेयर के जरिए निगरानी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है जिसे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आर्टिकल 14 (कानून के समक्ष समानता), आर्टिकल 19 (वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और आर्टिकल 21 (जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के तहत मौलिक अधिकार माना गया है.’

2. याचिकाकर्ता- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया

अपनी याचिका में, एडिटर्स गिल्ड ने स्नूपिंग की सीमा और मंशा के बारे में तथ्यों की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है.

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से भारत सरकार को 2017 से 2021 के बीच स्पाइवेयर, हैकिंग या इलेक्ट्रॉनिक निगरानी का उपयोग करके सूचना को रोकने, निगरानी और डिक्रिप्शन पर जानकारी देने के लिए निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है. याचिका में ये भी पूछा गया है कि इन स्पाइवेयर के लिए भुगतान कैसे किया गया, इसका ब्योरा भी पेश करने के लिए भारत सरकार को निर्देश दिया जाए.

साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि भारतीय नागरिकों पर इस्तेमाल के लिए स्पाइवेयर, हैकिंग या इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के लिए विदेशी कंपनियों के साथ किए गए किसी भी समझौते या समझौता से जुड़े ज्ञापन को पेश करने के लिए भारत सरकार को निर्देश दिया जाए.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपने याचिका में कहा है कि,

"प्रेस की स्वतंत्रता सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा पत्रकारों की रिपोर्टिंग में गैर-हस्तक्षेप पर निर्भर करती है. इसमें सूत्रों के साथ सुरक्षित और गोपनीय रूप से बोलने, सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की जांच करने, सरकारी अक्षमता को उजागर करने और सरकार का विरोध करने वालों के साथ बात करने की उनकी क्षमता शामिल है."
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

3. याचिकाकर्ता- पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और एक्टिविस्ट इप्सा शताक्षी

चार भारतीय पत्रकारों और एक एक्टिविस्ट ने निजता के अपने मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. पांचों की तरफ से ये याचिकाएं इसलिए अहम मानी जा रही है कि क्योंकि पांचों का नाम पेगासस स्पाइवेयर टारगेट की संभावित लिस्ट में शामिल था.

गुहा ठाकुरता और आब्दी दोनों के फोरेंसिक एनालिसिस ने पुष्टि की है कि पेगासस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस का उपयोग करके उनके फोन से छेड़छाड़ की गई थी.

वरिष्ठ पत्रकार ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह केंद्र सरकार को पेगासस जैसे जासूसी सॉफ्टवेयर या साइबर हथियारों से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का भी निर्देश दे. अपनी याचिका में ठाकुरता ने अदालत से केंद्र को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि वह निजता के हनन और हैकिंग की किसी भी शिकायत से निपटने के लिए न्यायिक निगरानी तंत्र स्थापित करे और ऐसे उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित करे.

याचिकाओं के मुताबिक, "पेगासस जैसी मिलिट्री ग्रेड की तकनीक" का इस्तेमाल आईटी एक्ट के तहत 'हैकिंग' के बराबर है. ये अवैध है, और आईटी एक्ट की धारा 43 का उल्लंघन है, क्योंकि इसमें कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंचना, डिवाइस को नुकसान पहुंचाना और उससे डेटा निकालना शामिल है. याचिका में ये भी कहा गया है कि पेगासस का इस्तेमाल आईटी एक्ट की धारा 66 बी - जो चोरी किए गए डेटा को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए दंडित करती है और आईटी एक्ट की धारा 72 - जो प्राइवेसी के उल्लंघन के लिए दंडित करती है का उल्लंघन करता है.

4. याचिकाकर्ता- जॉन ब्रिटास, राज्यसभा सांसद

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य और राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों ने भारत में लोगों के एक बड़े वर्ग के बीच चिंता पैदा कर दी है.

3. याचिकाकर्ता- एमएलशर्मा, वकील

पेगासस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा की ओर से भी जनहित याचिका दी गई है. शर्मा ने अपने जनिहित राजनीतिक हितों के लिए सरकार द्वारा कथित तौर पर पेगासस स्पाइवेयर के जरिए नागरिकों की जासूसी को चुनौती दी है.

वकील एम एल शर्मा ने अपनी याचिका में कथित जासूसी की खबरों के संबंध में विशेष जांच दल (एसआईटी) से अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT