advertisement
तमिलनाडु के कोयंबटूर में समाज सुधारक ईवी रामास्वामी पेरियार के स्टैच्यू को भगवा रंग से पोतने का मामला सामने आया है. घटना के बाद कोयंबटूर के सुंदरपुरम इलाके में पेरियार के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. इस घटना की राजनेताओं से लेकर आम लोग आलोचना कर रहे हैं.
ट्विटर पर लोग इस घटना के बारे में लिखते हुए आरोप पर एक्शन की मांग कर रहे हैं. तुथुकुडी से डीएमके सांंसद कनिमोझी ने लिखा- 'पेरियार की मौत के दशकों बाद भी आज वो नैरेटिव सेट कर रहे हैं. ये सिर्फ एक मूर्ति नहीं है बल्कि आत्म सम्मान और सामाजिक न्याय का रास्ता है, उनके लिए भी जो उनको रंग से पोतना चाहते हैं"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी ने भी ट्विटर पर इस घटना को लेकर लिखा- 'कितनी भी मात्रा में नफरत बड़ी शख्शियत को नुकसान नहीं पहुंचा सकती'
दिग्गज अभिनेता और अब मक्कल निधि मय्यम नाम से राजनीतिक पार्टी शुरू करने वाले कमल हसन ने भी पेरियार की मूर्ति को भगवा रंग से रंगने के मामले को लेकर ट्विटर पर लिखा है. उन्होंने लिखा-
ई.वी. रामास्वामी राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता थे. इनके चाहने वाले इन्हें प्यार और सम्मान से ‘पेरियार’ बुलाते थे. पेरियार को ‘आत्म सम्मान आन्दोलन’ या ‘द्रविड़ आन्दोलन’ शुरू करने के लिए जाना जाता है. उन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया जो बाद में जाकर ‘द्रविड़ कड़गम’ हो गई. पेरियार आजीवन रुढ़िवादी हिन्दुत्व का विरोध करते रहे. उन्होंने हिन्दी को जरूरी बनाने का भी घोर विरोध किया. उन्होंने ब्राह्मणवाद पर करारा प्रहार किया और एक अलग ‘द्रविड़ नाडु’ की मांग की.
पेरियार जाति व्यवस्था के खिलाफ थे. साल 1904 में पेरियार काशी गए, जहां हुई एक घटना ने उनका जीवन बदल दिया. दरअसल, पेरियार को भूख लगी तो वह एक जगह हो रहे निःशुल्क भोज में गए. जहां उन्हें पता चला कि यह भोज सिर्फ ब्राह्मणों के लिए था. उन्होंने वहां भोजन पाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें धक्का मारकर अपमानित किया गया. इसके बाद ही वे रुढ़िवादी हिन्दुत्व के विरोधी हो गए. उन्होंने किसी भी धर्म को नहीं स्वीकारा और आजीवन नास्तिक रहे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)