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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI Raids) पर हुई छापेमारी को अब तक का सबसे बड़ा एक्शन करार दिया जा रहा है. एनआईए और ईडी समेत अलग अलग जांच एजेंसियों ने 11 राज्यों में देर रात छापेमारी कर 106 लोगों को गिरफ्तार किया है. सूत्रों की माने तो इस पूरी कार्यवाही का प्लान गृह मंत्रालय के अधिकारियों की केंद्रीय एजेंसियों के साथ हुई 2 उच्चस्तरीय बैठक में बनाया गया.
एनआईए से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 29 अगस्त को एनआईए, ईडी और आईबी के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की थी. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह सचिव अजय कुमार भल्ला भी मौजूद थे. इसी बैठक में पीएफआई से जुड़े लोगों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए. सभी संबंधित एजेंसियों के अधिकारियों से पीएफआई के खिलाफ सबूतों सहित एक रिपोर्ट तैयार करने कहा गया. बैठक में पीएफआई कैडर के खिलाफ एक बार में ही बड़े एक्शन के लिए निर्देश जारी किए गए.
इसके बाद बुधवार और गुरुवार की देर रात 1 बजे से सुबह 7 बजे तक देश के तकरीबन 11 राज्यों में पीएफआई कैडर के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की गई. रात में ऐसा इसलिए किया गया ताकि छापेमारी कर रही टीमों को विरोध का सामना ना करना पड़े.
जानकारी के मुताबिक इस पूरी कार्रवाई में जांच एजेंसियों के 250 से ज्यादा अधिकारी और कर्मी शामिल थे. एनआईए ने इस कार्यवाही में पीएफआई के नेशनल चेयरमैन ओएमएस सलाम और दिल्ली पीएफआई के चीफ परवेज अहमद को भी गिरफ्तार किया हैं. इन सभी लोगों पर आतंकी शिविर आयोजित करने, टेरर फंडिंग और लोगों को कट्टरता की सीख देने के आरोप लगे हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी और गृह मंत्रालय लंबे समय से पीएफआई की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए था. साल 2017 में एनआईए ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में पीएफआई के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बैन लगाने की मांग की थी. कई और राज्य समय समय पर बैन लगाने की मांग कर चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक एनआईए ने 19 सितंबर को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में छापेमारी के बाद चार आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में एक रिमांड रिपोर्ट दाखिल की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पीएफआई आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचने की कोशिश कर रहा है. वहीं पीएफआई के जरिए बिहार के फुलवारी शरीफ में गजवा-ए-हिंद स्थापित करने की साजिश की जा रही थी. जहां एनआईए ने हाल ही में छापेमारी की थी.
पीएफआई और विवादों का रिश्ता भी नया नहीं है. कई देशविरोधी गतिविधियों में इसका नाम सामने आ चुका है. आइए जानते हैं आखिर कौन है पीएफआई और इसके साथ कौन-कौन से विवाद जुड़े हैं.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक इस्लामिक संगठन है. ये संगठन अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है. संगठन की स्थापना 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट के उत्तराधिकारी के रूप में हुई. इस संगठन की जड़े केरल में मानी जाती हैं. वहीं पीएफआई का मुख्यालय दिल्ली में है. पीएफआई पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होना, भड़काऊ नारेबाजी, हत्या से लेकर हिंसा फैलाने तक के आरोप लग चुके हैं.
1. किसान आंदोलन- एजेंसियों को किसान आंदोलन के दौरान पीएफआई की ओर से हिंसा की जानकारी मिली थी. इसके बाद मेरठ समेत कई स्थानों पर पीएफआई के ठिकानों पर छापे मारे गए थे.
2. नूपुर शर्मा विवाद और हिंसा --नुपुर शर्मा विवाद के बाद यूपी में करीब आठ शहरों में जुमे की नमाज के बाद माहौल खराब करने की कोशिश की गई थी. कानपुर से लेकर प्रयागराज तक हिंसा भड़काने की साजिश में इस संगठन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियां हुईं थीं.
3. सीएए-एनआरसी- जब दिल्ली और देश के कई राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे, तब भी उसके पीछे पीएफआई का हाथ बताया गया था. यूपी में तब पुलिस ने पीएफआई के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था.
4. हिजाब विवाद- कर्नाटक के स्कूलों में हुए हिजाब विवाद में भी पीएफआई संगठन का नाम सामने आया था. सरकार की ओर से कर्नाटक हाई कोर्ट में दावा किया गया था, कि सीएफआई ने हिजाब के लिए हंगामा शुरू किया है और यह एक कट्टरपंथी संगठन है. माना जाता है कि सीएफआई, पीएफआई का ही स्टूडेंट यूनियन है.
5. आरएसएस नेता की हत्या- साल 2016 में बेंगलुरु के आरएसएस नेता रुद्रेश की हत्या दो अज्ञात बाइक सवारों ने की थी. इस हत्या में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था और ये चारों पीएफआई से जुड़े थे.
(यह एजेंसी की कॉपी है. क्विंट ने इस स्टोरी में सिर्फ हैडलाइन को अपडेट किया है.)
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