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फाइजर और उसके जर्मन पार्टनर बायोएनटेक ने बुधवार को अंतरिम परिणामों का एक दूसरा बैच जारी किया, जिसमें कहा गया है कि उसका कोरोना वायरस वैक्सीन 95 फीसदी तक कारगर है. यह बुजुर्ग लोगों को वायरस का शिकार होने के जोखिम से भी बचाती है. कंपनी ने कहा, "प्राथमिक विश्लेषण से पता चलता है कि वैक्सीन की पहली खुराक के 28 दिनों के अंदर यह अपना प्रभाव दिखाने लगता है. ट्रायल के दौरान कोविड-19 के 170 पुष्ट मामलों का मूल्यांकन किया गया."
ये घोषणा 9 नवंबर को फाइजर की पहली धमाकेदार घोषणा के एक हफ्ते बाद आई है, जब इसने कहा था कि इसका वैक्सीन 90 प्रतिशत तक प्रभावी है. पहला परिणाम 43,000 से अधिक स्वयंसेवकों में से चुने गए 100 से कम संक्रमित मरीजों के विश्लेषण पर आधारित था.
फाइजर-बायोएनटेक ने टीका बनाने के लिए एमआरएनए तकनीक का उपयोग किया है, जिसका मतलब है कि वैक्सीन का शॉट लेने से कोविड-19 होने का कोई जोखिम नहीं है.
इससे पहले अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना ने 16 नवंबर को ऐलान किया कि उसकी COVID-19 वैक्सीन बीमारी को रोकने में 94.5 फीसदी तक प्रभावी दिखाई देती है. ये ऐलान फेज-3 ट्रायल्स के अंतरिम नतीजों के आधार पर किया गया. अभी दोनों वैक्सीन की कंपनियों की निगाहें अमेरिकी खाद्य और औषधि प्राधिकरण (यूएसएफडीए) से आपात इस्तेमाल की अनुमति लेने पर होंगी.
न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, अगर यूएसएफडीए मॉडर्ना या फाइजर की संभावित वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति देता है, तो साल के अंत से पहले अमेरिका में सीमित आपूर्ति होगी.
(इनपुट: IANS से भी)
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