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प्रधानमंत्री मोदी ने 18 अप्रैल को लंदन के सेंट्रल हॉल वेस्टमिंस्टर में 'भारत की बात, सबके साथ' कार्यक्रम में हिस्सा लिया. लंदन में पीएम मोदी का ये कार्यक्रम फुल स्कैल चुनाव कैंपेन लॉन्च करने का एक बड़ा ऐलान है. 2012 में वो जब मुख्यमंत्री थे तो गूगल हैंगआउट के जरिए उन्होंने 2014 के लिए मैसेज दिया था. इसके बाद मेडिसन स्क्वॉयर दूसरा बड़ा मौका था. ये तीसरा मौका है अब पीएम ने 2019 के लोकसभा चुनावों का नगाड़ा बजा दिया है.
सरकार बहुत सारे मुद्दों पर डिफेंसिव है. जिसमें गरीबी, बेरोजगारी और किसान, महिला सुरक्षा राजकाज की दिक्कतों का मुद्दा शामिल है. ये कार्यक्रम देखकर मुझे ऐसा लगता है कि वॉट्सअप पर जो वीडियो भेजे जाने वाले हैं उन्हें पहले सोचा गया है, सवाल-जवाब को उसके हिसाब से ब्रीफ किया गया है.
प्रधानमंत्री की बातों को गौर से सुने तो थीम ये निकलती है कि वो वोटर के मन में भाव पैदा करने चाहते हैं कि पीएम की नीयत अच्छी है, मेहनत कर रहे हैं. समय लगता है, पुराना कूड़ा बचा है, टाइम लगता है साफ करने में. 2019 की बात दिमाग से हटे इसलिए वो लगातार कहते हैं कि 2022 में, मैं ये कर दूंगा वो कर दूंगा.
उनके पूरे भाषण में महिला और गर्ल चाइल्ड पर फोकस था. इससे पहले पीएम ने उन्नाव-कठुआ केस पर एड्रेस भी किया था. पीएम अब ये आरोप नहीं आलोचना समझे तो इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर नफरत, लड़ाई और गंदी बातों का एक सैलाब सा आ गया है. कठुआ मामले को सांप्रदायिक रंग देने वालों पर पीएम को कड़ी कार्रवाई करना चाहिए.
पीएम ने बड़ा जोर देकर डिटेल में बताया है कि उन्हें आलोचना पसंद है, आरोप नहीं. तो ये साफ करना चाहिए कि बेरोजगारी का आंकड़ा आरोप है या आलोचना, गंगा की सफाई नहीं हुई, डिजिटल इंडिया धक्के खा रहे है, जीएसटी घिसट कर चल रहा है , कालेधन की समस्या नोटबंदी से दूर नहीं हुई, ये सारे आरोप हैं कि आलोचना
मोदी जी के भाषणों की खास बात ये है कि वो पॉसिबल क्रिटिसिज्म और एनालिसिस को खुद ही कर लेते हैं. इससे हम लोगों का काम बेकार या मुश्किल हो जाता है. इसका उदाहरण ये है कि ‘देखिए हो सकता है कि मेरे कार्यक्रम के बारे में लोग बोलें कि ये स्टेज मैनेज्ड है.’ हम तो ऐसा बिल्कुल नहीं कहना चाहेंगे. लेकिन मोदीजी ने इस तरह के इवेंट में अपना स्टेज, अपना संदेश , अपना सेगमेंट उन्होंने साफ तौर पर चुना है. जाहिर है कि इसमें कुछ गलत नहीं है.
लंदन के कार्यक्रम में मोदी जी ने अपने मामूलीपन पर, अपने अभाव भरे बचपन पर, अपनी फकीरी पर और अपने साधु स्वाभाव पर जोर लगाया. लेकिन पूरे भाषण में सवा सौ करोड़ भारतीय, मैं, मेरा काम और मोदी का खुद का थर्ड पर्सन में नाम लेना, पर्यायवाची समागम था, पता नहीं चलता था कि कौन सा शब्द किसके लिए है.
एक बड़ा फेमस पॉलिटिक कोट है, ब्रिटिश पीएम ने इसे कभी कहा था. उनसे पूछा गया था आपको किस चीज से सबसे ज्यादा डर लगता है तो उन्होंने अंग्रेजी में जवाब दिया- इवेंट, माय डियर बॉय इंवेंट.
मैं ये कहना चाहूंगा कि आज अगर कोई ये सवाल पूछे तो ये जवाब होगा- इवेंट मैनेजमैंट माय डियर सर, इवेंट मैनेजमेंट
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