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रविवार को लोकसभा की 59 सीटों पर मतदान है. यानी 17 मई की शाम से चुनाव प्रचार बंद है. 17 की शाम लोकसभा चुनाव 2019 की समाप्ति के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए थे और चुनाव प्रचार के खत्म होने का ऐलान किया था. कहा था -‘‘चलिए मीडिया के लोगों को भी मतगणना तक आराम मिलेगा.’’ लेकिन ऐसा हो न सका. अगले ही दिन पीएम मोदी केदारनाथ पहुंचे. वहां पूजा अर्चना की. फिर पास ही एक गुफा में बैठकर साधना की. नतीजा 18 मई को दिन भर कैमरे बीजेपी के सबसे बड़े प्रचारक पीएम मोदी का पीछा करते रहे और उनकी तस्वीरें टीवी चैनलों के परदों पर चिपकी रहीं. क्या ये पूजा-पाठ उसी तरह नॉन पॉलिटिकल थी, जैसे अक्षय कुमार के साथ नॉन पॉलिटिकल इंटरव्यू?
रविवार को पीएम मोदी बद्रीनाथ भी जाएंगे. रविवार को चुनाव के दिन भी टीवी स्क्रीन्स ‘मोदीमय’ रहें तो कोई ताज्जुब नहीं. चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को इस यात्रा की परमिशन देते हुए याद दिलाया था कि- अभी आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है. जब पीएम मोदी की तस्वीरें और वीडियो आ रहे थे तो न्यूज एजेंसी ने एक सूचना दी. बताया कि मीडिया कर्मियों के आग्रह पर पीएम मोदी ने कैमरों को इजाजत दी. उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी कहा कि मोदी की ये यात्रा आध्यात्मिक थी. यानी हर तरफ से ये मैसेज देने की कोशिश हुई कि अगर चुनाव प्रचार बंद होने के बाद भी हर तरफ मोदी छाए हुए हैं तो इसके लिए मोदी जिम्मेदार नहीं. पीएम को केदारनाथ में टीवी कैमरे हर एंगल से कवर कर रहे हैं तो इसके लिए वो जिम्मेदार नहीं है. सवाल ये है कि पीएम मोदी मीडियाकर्मियों को मना क्यों नहीं कर पाए?
इधर शनिवार को पीएम मोदी केदरनाथ बाबा की शरण में थे, और उधर अगले दिन शिव की नगरी वाराणसी यानी उनकी सीट पर मतदान. चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद भी अगर पीएम मोदी सुर्खियों में रहे तो हो सकता है इसमें उनकी कोई प्लानिंग न हो, लेकिन इस यात्रा का असर क्या होगा? संदेश क्या जाएगा? पीएम मोदी की तस्वीरें छाई रहीं. गेरुआ कपड़ों में उनकी तस्वीरें दिन भर तैरती रहीं. प्रज्ञा ठाकुर को टिकट और बंगाल में जय श्रीराम के नारों से जो संदेश पार्टी ने दिया, इन तस्वीरों से वही संदेश पुख्ता नहीं होगा क्या?
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसपर टिप्पणी भी की. पूछा कि क्या एक दिन भी कैमरे से दूर नहीं सकते हैं? कुछ ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि ये सब सरकारी खर्च पर हो रहा है.
चुनाव प्रचार के बाद का ये ‘प्रचार’ तब था जब इस बार में पीएम मोदी ने धुआंधार प्रचार किया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के शब्दों में देश की आजादी के बाद किसी भी पीएम का ये सबसे बड़ा प्रचार अभियान था.
लोकसभा चुनावों के लिए पीएम मोदी ने फरवरी से मई तक देश के हर कोने का दौरा किया. 142 जनसभाओं को संबोधित किया. 4 रोडशो किए. जनसभाओं में 1.50 करोड़ लोगों से संपर्क किया. 10 हजार से ज्यादा वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क किया. रैलियों के दौरान ढेर सारी योजनाओं के 7000 से ज्यादा लाभार्थियों से मुलाकात की. एक-एक दिन में 5 से ज्यादा जनसभाएं की. 1.05 लाख किलोमीटर की यात्रा की. 3 दिन तो ऐसे थे जब 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की. एमपी के इटारसी में 46 डिग्री में रैली की तो अरुणांचल में 18 डिग्री तापमान में रैली की.
जहां मोदी नहीं थे, वहां भी थे. घोषणापत्र के पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक. चुनाव के लिए बने बीजेपी की थीम सॉन्ग में थे, गली मोहल्लों से लेकर बड़े चौक चौराहों तक उनकी तस्वीरें थीं. ट्रेन के टिकट से लेकर हवाई जहाज के बोर्डिंग पास पर पीएम मोदी छाए हुए थे.
‘केदारनाथ’ के कारण चुनाव प्रचार के बाद भी एक बार फिर वो छा गए. किया भी क्या जा सकता है, कैमरों का दिल है कि मानता नहीं...
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