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किसी देश की अर्थव्यवस्था (Economics) सही रहे तो देश के लोगों की आमदनी (Income) बढ़ती है, नौकरियां (Jobs) पैदा होती हैं, लोगों का स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बेहतर होता है, महंगाई (Inflation) और मंदी काबू में रहती है. तो क्या मोदी सरकार (PM Modi) ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जो वादे किए वो पूरे हुए या नहीं? देश की विकास दर (GDP) बढ़ी या नहीं? $5 ट्रिलियन की इकॉनमी का सपना कहां तक पहुंचा? GST में सुधार हुआ या नहीं? Tax कम हुआ या नहीं? ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस का क्या हाल है? कितने स्टार्टअप (Startups) पैदा हुए? और भी बहुत कुछ...
तो चलिए पीएम मोदी के ऐसे ही 10 वादों और योजनाओं का हिसाब किताब करते हैं...
2019 में पीएम मोदी ने कहा था कि 2025 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी जिसका आकार 5 ट्रिलियन डॉलर होगा.
अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं...भारत में जितनी चीजों का, सेवाओं का उत्पादन हो रहा है उन सभी को जोड़ लें तो वो अर्थव्यवस्था कहलाएगी. और आसान भाषा में समझें तो भारत का जो मूल्य है, अब किसी देश का मूल्य तो होता नहीं लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था यानी उसका मूल्य.
वादे के अनुसार 2025 में भारत का मूल्य $5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा. भारतीय रुपये में ये 417 लाख करोड़ से भी ज्यादा होगा.
अब सरकार और IMF ने कहा है कि भारत का ये सपना 2027 में पूरा होगा. 5 लाख करोड़ डॉलर की इकॉनमी का वादा है लेकिन फिलहाल भारत की इकॉनमी 3.42 लाख करोड़ डॉलर की है.
कॉरपोरेट की बात करें तो कुछ शर्तों के साथ कॉर्पोरेट टैक्स को घटा कर 22% किया गया है.
लेकिन बात इनकम टैक्स की करें तो मोदी सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था भी लागू की जिसके तहत छूट देकर 7 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगता. ये जानकर आप कहेंगे कि वादा पूरा किया, क्योंकि इसके बाद 2023-24 के लिए रिकॉर्ड 8 करोड़ से ज्यादा ITR फाइल किया गया है.
हालांकि ऊपरी तौर पर देखें तो वादा जरूर पूरा किया गया है लेकिन आप पहले अपने आस-पास देखें, क्या लोग नई टैक्स व्यवस्था के तहत ITR फाइल कर रहे हैं या पुरानी टैक्स व्यवस्था को ही पसंद कर रहे हैं?
GST को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि अभी और सुधार की जीएसटी को दरकार है. सुधार हुए हैं जैसे... SMS के जरिए जीरो रिटर्न फाइल करने की सुविधा, ऑटोमेटेड रिफंड प्रोसेस, जीएसटी रेट के ढांचे में सुधार, आदी.
बजट के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस वादे से मोदी सरकार काफी पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच सालों में 43.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश ही हुआ है.
2019 में मोदी सरकार ने कहा भारत में बिजनेस करना और आसान होगा. वर्ल्ड बैंक इसको लेकर ग्लोबल रैंकिंग जारी करती है, जिसे भारत सरकार भी मानती है. 2020 में भारत की रैंक 190 देशों के बीच 63 रही. फिलहाल इसमें सुधार नहीं है. वादे के मुताबिक भारत टॉप 50 देशों में तो नहीं है लेकिन इसके करीब है.
पिछली रैंकिंग:
2019: 77
2018: 100
2017: 130
2016: 130
2015: 142
2014: 134
मोदी सरकार ने नई औद्योगिक नीति यानी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए नई नीति लाने का वादा किया था. नई नीति अभी तक लागू नहीं हुई है. संसद में सरकार ने बताया कि, एक ड्राफ्ट जरूर तैयार किया गया है, राज्यों, इंडस्ट्री असोसिएशन, मंत्रालयों और विभिन्न विभागों से सलाह ली गई है लेकिन सरकार को अभी भी नीति को अंतिम रूप देना है.
छोटी फैक्ट्रियों को 1 लाख करोड़ रुपये तक ग्यारंटीड कर्ज देने का वादा किया गया था, संसद में सरकार ने बताया कि 2023 में कर्ज का राशि 1 लाख करोड़ को पार कर गई है. ये वादा पूरा किया गया.
इसके अलावा बिजनेस करने वाले जिन्हें एंटरप्रिन्योर कहा जाता है उन्हें ₹50 लाख रुपये तक का कर्ज बिना कुछ गिरवी रखे देने का वादा था.
लेकिन इसे लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. वहीं आरबीआई की एक समिति ने सरकार को मुद्रा योजना के तहत कर्ज की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने का सुझाव दिया है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस सुझाव पर भी कार्रवाई नहीं की है.
संसद में दिए गए जवाब के मुकाबिक, पिछले 5 सालों में 1 लाख से ज्यादा स्टार्टअप पैदा हुए, जिससे कुल मिलाकर 11.25 लाख प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुईं.
जहां तक सीड फंडिंग की बात है तो कॉमर्स मंत्रालय के अनुसार, इसके लिए सरकार ने 2021 में 945 करोड़ रुपये के कोर्पस के साथ स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना शुरू की है. वादा 20 हजार करोड़ का था. सीड फंडिंग स्टार्टअप शुरू करने के लिए दी जाने वाली फंडिंग होती है.
SC/ST/OBC/EWS के उद्यमों के समर्थन की बात है तो सरकार स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत SC/ST के स्टार्टअप को 10 लाख से 100 लाख रुपये तक का कर्ज दे रही है. लेकिन ओबीसी/EWS को अभी तक कोई सहायता देने की योदना नहीं आई है.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ लड़ाई में तेजी आई है. इसके लिए 400 आदेश पारित किए गए, सरकार ने ब्लैक मनी एक्ट के तहत बताया कि 15,500 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई थी. ये नोटिस संबंधित लोगों को भेजे जा चुके हैं.
इसके अलावा, सरकार एचएसबीसी, पनामा पेपर्स और पैराडाइज़ पेपर्स के मामलों में 22,250 करोड़ रुपये से ज्यादा की अघोषित इनकम को टैक्स के दायरे में लाया है.
लेकिन बेनामी संपत्ति के मामले में सरकार की कार्रवाई ठंडी दिखती है.
बेनामी संपत्ति मतलब? जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है. इसमें प्रॉपर्टी खरीदने वाला काले धन का इस्तेमाल करता है, वो पकड़ा न जाए इसीलिए वो किसी और के नाम से प्रॉपर्टी खरीदता है.
क्विंट हिंदी ने इसे लेकर जब आंकड़ों का अध्ययन किया तो पता चला कि सरकार का कार्रवाई धीमी गति से चल रही है. वहीं 2018 से अब तक 10 लोगों को अदालतों ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है. इसमें विजय माल्या, नीरव मोदी, नरेंद्रभाई पटेल, जुनैद इकबाल मेमन जैसे 10 नाम शामिल हैं. इनमें से ED ने केवल 4 को भारत डिपोर्ट कर दिया है. इन मामलों में शामिल धोखाधड़ी की राशि 40,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि सरकार ने उनकी 15,110 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है.
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