भारत में अधिकतर लोगों के पास हेल्थ बीमा (Health Insurance) नहीं है. ऐसे में 2018 में मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna) लॉन्च कर WHO जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से भी तारीफें बटोरी. इस योजना में 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों को 5 लाख तक का बीमा दिया जाता है.
इसके तहत कई गरीब लोगों को फायदा पहुंच रहा है, लेकिन कुछ लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है. 2018 में लॉन्च हुई योजना (PMJAY) की वर्तमान में क्या स्थिति है? इस योजना में कई गड़बड़ियां भी पाईं गईं हैं, फर्जीवाड़ा तक हुआ है और आयुष्मान का लाभ देने वाले अस्पतालों की सच्चाई भी कुछ और ही है. तो चलिए आयुष्मान भारत योजना का हिसाब किताब करते हैं.
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
मोदी सरकार की आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य (AB- PMJAY) योजना सितंबर 2018 में लॉन्च की गई. इसके तहत अब सरकार का 12 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर यानी इंश्यॉरेंस देने का लक्ष्य है. फिलहाल कुल 55 करोड़ लाभार्थी हैं. इस योजना के लिए गरीब लोगों की पहचान 2011 की जनसंख्या के आधार पर होती है.
आयुष्मान कार्ड मार्च 2024 तक 34 करोड़ से ज्यादा लोगों को जारी हो चुके हैं.
स्कीम को पूरी तरह से सरकार ही फंड करती है. लेकिन फंडिंग केवल मोदी सरकार नहीं करती. मोदी सरकार 60% खर्च उठाती है और राज्य सरकारें बाकी का 40% खर्च उठाती है. तो अगर आपका इलाज का खर्च 1 लाख रुपये होता है तो मोदी सरकार 60 हजार रुपये देती है और राज्य सरकार 40 हजार रुपये.
वहीं हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और भारत के सात उत्तर पूर्वी राज्यों में केंद्र सरकार 90% और राज्य सरकार 10% खर्च उठाती है.
आयुष्मान भारत योजना पर कितना खर्च हुआ?
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि एक RTI में पता चला है कि 2018 से इस योजना के तहत कुल 72,817 करोड़ रुपये खर्च किया गया है.
आयुष्मान योजना से क्यों किनारा कर रहे अस्पताल?
भारत में आयुष्मान कार्ड का फायदा लेने के लिए आप हर अस्पताल में नहीं जा सकते. इसके लिए अस्पताल निर्धारित किए गए हैं. फिलहाल भारत के कुछ 30 हजार अस्पताल आयुष्मान के तहत इलाज की सुविधा देते हैं... ये दावा सरकार का है. इनमें से 17,242 सरकारी अस्पताल हैं और 12,765 प्राइवेट अस्पताल हैं.
लेकिन जब हमने आयुष्मान भारत की वेबसाइट को ध्यान से खंगाला, तो सरकार की वेबसाइट खुद बताती है कि:
29,220 अस्पतालों में से 6,703 अस्पताल आयुष्मान योजना के लागू होने से ही इनएक्टिव हैं, यानी इन 6703 अस्पतालों में 2018 से ही आयुषमान के तहत इलाज नहीं होता.
यही नहीं सरकार की वेबसाइट ये भी बताती है कि पिछले 6 महीनों से अतिरिक्त 4,487 अस्पताल भी इनएक्टिव हैं.
यानी वर्तमान में 29,220 अस्पतालों में से 11,190 अस्पताल तो आयुष्मान योजना के तहत कोई लाभ देते ही नहीं है. पर्सेंट में बताएं तो 38 फीसदी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करते.
सरकार बताती है कि यूपी में 5,506 अस्पताल हैं, लेकिन इनमें से 2,500 अस्पताल से कोई लाभ नहीं मिलता, यानी 40-50 फीसदी अस्पताल इनएक्टिव हैं.
राजस्थान का हाल और बुरा है. यहां इस योजना से 1,935 अस्पताल जुड़े हैं. वर्तमान में इनमें से 1,934 अस्पताल कोई लाभ नहीं दे रहे, केवल एक अस्पातल पर पूरा राजस्थान निर्भर है.
बिहार में 956 अस्पताल हैं, इनमें से 234 अस्पताल आयुष्मान के तहत इलाज नहीं करते.
नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी ने 2023 में बताया था कि गुजरात (2,552), तमिलनाडु (1,881) और आंध्र प्रदेश (1,295) में हजारों अस्पताल इन एक्टिव हैं.
कई प्राइवेट अस्पतालों की शिकायतें हैं कि वे आयुष्मान के तहत अपने खर्चे पर 5 लाख तक का इलाज कर दे रहे हैं लेकिन सरकार उनका बकाया नहीं चुका रही है. इसी वजह से गुजरात और हरियाणा के प्राइवेट अस्पतालों ने तो सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे आयुष्मान कार्ड 26-29 फरवरी के बीच स्वीकार ही नहीं करेंगे. अस्पतालों ने एक तरह से विरोध दर्ज कराने के लिए ये किया है. गुजरात के करीब 300 प्राइवेट अस्पतालों का करोड़ों का बकाया सरकार ने नहीं दिया है. इसे लेकर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक जवाब भी नहीं आया है.
आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े को उजागर करती CAG की रिपोर्ट
अब आयुष्मान में हुए फर्जीवाड़े पर बात करते हैं. जैसे हम हिसाब किताब कर रहे हैं, वैसे ही सरकारी संस्था सीएजी है - वह भी सरकार के खर्चों का हिसाब किताब करती है. अगस्त 2023 में आयुष्मान भारत को लेकर CAG ने अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए.
रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 8 करोड़ परिवारों को आयुष्मान कार्ड जारी किया गया है जबकि सरकार का लक्ष्य 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों को कार्ड जारी करने का है.
7,50,000 लाभार्थी एक ही मोबाइल नंबर से रजिस्टर पाए गए और वो नंबर 9999999999 है.
4,761 लाभार्थी केवल 7 आधार कार्ड पर रजिस्टर पाए गए.
1 करोड़ रुपये ऐसे 403 मरीजों के नाम पर मध्य प्रदेश के अस्पतालों को दिए गए जो मरीज जिंदा नहीं है.
मृत घोषित किए जा चुके लोगों पर लगभग 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
आयुष्मान के डेटाबेस में कई गड़बड़ियां पाई गई हैं जैसे, नाम गलत हैं. कुछ के पास डुप्लिकेट आयुष्मान कार्ड भी हैं.
कई लोग, जो गरीब नहीं है वे भी गलत तरीके से आयुष्मान योजना में रजिस्टर हो गए हैं. और उन्होंने 22 करोड़ रुपये तक का फायदा भी उठा लिया है.
आयुष्मान योजना में जुड़े कुछ अस्पतालों में वो सब सुविधा ही नहीं है जो मरीज के इलाज की जरूरतों को पूरा कर सके.
इस योजना को लेकर कुल 37,903 शिकायतें दर्ज हुईं हैं, लेकिन समय सीमा में केवल 3,718 शिकायतों का ही निवारण हुआ. बाकी 33,100 शिकायतों का निवारण समय से नहीं किया गया.
बता दें कि वर्तमान में तेजी से आयुष्मान कार्ड जारी किए जा रहे हैं, बीमा कवर को 5 लाख की जगह 10 लाख तक करने की योजना भी बनाई जा रही है. योजना में इस साल से आशा वर्कर्स को भी जोड़ा जा रहा है. लेकिन अस्पतालों की कमी का आंकड़ा हमारे सामने हैं. कई लोगों को अपनी जेब से तो कई को कर्ज लेकर अस्पतालों का बिल भरना पड़ रहा है.
MP में 1 लाख लोगों पर केवल 2 ही आयुष्मान के अस्पताल
सरकारी आंकड़ों को ध्यान से देखने पर ये भी पता चलता है कि अस्पतालों की भारी कमी है. जैसे भारत के 14 राज्यों में 1 लाख लोगों पर 10 या 10 से कम अस्पताल हैं. मध्य प्रदेश में 1 लाख लोगों पर केवल 2 ही आयुष्मान के अस्पताल हैं.
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