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पीएम मोदी (PM Modi) ने पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) पर वैट (VAT) को लेकर विपक्ष शासित राज्य सरकारों को घेरा है. उन्होंने गैर बीजेपी शासित राज्यों को सलाह दी है कि पेट्रोल-डीजल से वैट घटाएं. पीएम मोदी ने कहा कि, "मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं, सिर्फ चर्चा कर रहा हूं, किसी कारण से, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और झारखंड जैसे राज्य ईंधन पर वैट कम करने के लिए सहमत नहीं हुए. उच्च कीमतों का बोझ नागरिकों पर बना रहा."
जिसके बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया भी स्वभाविक तौर पर सामने आई है, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि,
इसके अलावा झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि, पीएम ने आज स्वास्थ्य के बजाय पेट्रोल-डीजल पर ज्यादा बात की और मुलाकात एक राजनीतिक बैठक बन गई. पीएम मोदी इन (पेट्रोल, डीजल और एलपीजी) को जीएसटी के तहत लाएं और देश के लिए एक नीति बनाएं.
साथ ही DMK सांसद TKS Elangovan ने कहा कि, पीएम मोदी विशेष रूप से ईंधन पर कर कम करने के लिए केवल विपक्षी शासित राज्यों का हवाला दे रहे हैं. वह ये नहीं कहेंगे कि गुजरात या कर्नाटक को कर कम करना चाहिए. भारत सरकार द्वारा एकत्रित कर की मात्रा इन राज्यों द्वारा एकत्र किए गए कर की मात्रा का 3 गुना है.
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट के जरिए पीएम मेदी के बयान पर पलटवार किया है.
महाराष्ट्र सरकार ने भी पीएम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुआ कहा कि, आज मुंबई में एक लीटर डीजल पर डीजल टैक्स का हिस्सा केंद्र के लिए 24.38 रुपये और राज्य के लिए 22.37 रुपये है. पेट्रोल टैक्स का हिस्सा केंद्रीय कर के रूप में 31.58 रुपये और राज्य कर के रूप में 32.55 रुपये है. इसलिए, यह सच नहीं है कि राज्य के कारण कीमतें अधिक महंगी हो गई हैं.
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