प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 27 अप्रैल को राज्यों से "कॉपरेशन की भावना" में ईंधन पर मूल्य वर्धित कर (VAT) को कम करने का अनुरोध किया.
देश भर के शहरों में ईंधन की कीमतों को सूचीबद्ध करते हुए, पीएम मोदी ने बताया कि जिन राज्यों ने वैट कम किया है, वहां ईंधन की कीमतें कम हैं. संविधान में निहित सहकारी संघवाद की भावना पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि देश ने उस भावना के माध्यम से कोविड के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी और आर्थिक मुद्दों के लिए भी ऐसा ही करना चाहिए जैसे वैश्विक मुद्दों के प्रभाव को देखते हुए “युद्ध जैसी स्थिति” है.
पीएम मोदी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, "मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं. केंद्र ने नागरिकों पर बोझ कम करने के लिए पिछले साल नवंबर में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी की थी. हमने राज्यों से अपने करों को कम करने और लोगों को लाभ ट्रांसफर करने का भी अनुरोध किया. कुछ राज्यों ने टैक्स घटाया लेकिन कुछ राज्यों ने इससे लोगों को कोई फायदा नहीं दिया. इससे इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दाम ऊंचे बने हुए हैं. एक तरह से यह न केवल इन राज्यों के लोगों के साथ अन्याय है बल्कि इसका असर पड़ोसी राज्यों पर भी पड़ता है."
"मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं, सिर्फ चर्चा कर रहा हूं, किसी कारण से, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और झारखंड जैसे राज्य ईंधन पर वैट कम करने के लिए सहमत नहीं हुए. उच्च कीमतों का बोझ नागरिकों पर बना रहा."पीएम मोदी
पीएम ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जो राज्य अपने करों को कम करते हैं उन्हें राजस्व में नुकसान होगा लेकिन कई राज्यों ने वैसे भी "सकारात्मक कदम" उठाया.
कर्नाटक का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि, "अगर कर्नाटक ने पेट्रोल और डीजल पर अपना कर कम नहीं किया होता, तो राज्य सरकार को पिछले छह महीनों में अतिरिक्त 5,000 करोड़ की कमाई होती."
उन्होंने मुख्यमंत्रियों से सीधे राज्य ईंधन कर को कम करने और नागरिकों को लाभ देने की अपील की और बताया कि केंद्र के राजस्व का 42 प्रतिशत राज्यों को जाता है.
इस अपील के जवाब में अबतक किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री ने किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी हैं.
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