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देशभर में एक बार फिर कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. दूसरी तरफ अलग-अलग कंपनियों के वैक्सीन बनाने के दावे भी सामने आ रहे हैं और लोगों में ये उत्सुकता है कि देश में ये वैक्सीन कबतक मिलेगा? किसे सबसे पहले और बाद में मिलेगा? ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मंगलवार को बैठक की और वैक्सीन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा भी हुई. बैठक के बाद पीएम मोदी ने डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर कहा कि वैक्सीन को बांटने की तैयारी भी सभी राज्यों के साथ मिलकर होगी.
राज्यों से बातचीत के बाद तय होगा कि प्राथमिकता क्या है और उसी आधार पर वैक्सीन दी जाएगी. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि राज्यों को अब तैयारी शुरू कर देना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा है कि देशवासियों का जीवन बचाने ही पहली प्राथमिकता है और वैक्सीन को लेकर भारत जैसा अनुभव है वो दुनिया के बड़े-बड़े देशों को भी नहीं हैं.
पीएम मोदी ने वैक्सीन की कीमतों को लेकर कहा कि अभी ये नहीं पता है कि किस वैक्सीन का क्या दाम होगा हालांकि भारत आधारित वैक्सीन हमारे सामने हैं.
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीधा पीएम मोदी से चार सवाल पूछे थे.
1. सभी वैक्सीन कैंडिडेट में से भारत सरकार किसे चुनेगी और क्यों?
2. पहले वैक्सीन किसे मिलेगी और डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रेटेजी क्या होगी?
3. क्या PMCares फंड का इस्तेमाल फ्री वैक्सीनेशन के लिए किया जाएगा?
4. सभी भारतीयों को कब तक वैक्सीन दे दी जाएगी?
बता दें कि 130 करोड़ लोगों की आबादी वाले देश में लगभग 270 करोड़ टीकों की जरूरत और 1 साल से ऊपर का कार्यक्रम हो सकता है. भारत के पॉलिसी मेकर्स कह रहे हैं कि जुलाई-अगस्त 25 से 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट कर पाएंगे लेकिन भारत के बड़े एक्सपर्ट हैं वो बताते हैं कि शायद यह काम दिसंबर तक हो पाएगा. वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक्स एक बड़ा मुद्दा होगा. वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन में कोल्ड चेन का सहारा लेना पड़ सकता है. सामान्य रेफ्रिजरेशन में भारत बायोटेक या ऑक्सफोर्ड वाली वैक्सीन को तो मैनेज कर लेगा, लेकिन फाइजर या मॉडर्ना के टीके वहां नहीं रखे जा सकते क्योंकि उनको -20 से -70 डिग्री रखना पड़ता है, उसके लिए व्यवस्था हमारे यहां नहीं है.
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