Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019‘संगम तट पर...’, भारत के गरीब और असहाय बच्चों के हालात को बयां करती कविता

‘संगम तट पर...’, भारत के गरीब और असहाय बच्चों के हालात को बयां करती कविता

आधुनिकता का चोला ओढ़े इस समाज में अभी ऐसे बच्चों की तादाद बहुत अधिक है

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>‘संगम तट पर...’भारत के गरीब और असहाय बच्चों के हालात को बयां करती कविता</p></div>
i

‘संगम तट पर...’भारत के गरीब और असहाय बच्चों के हालात को बयां करती कविता

(प्रतीकात्मक फोटो)

advertisement

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शहर इलाहाबाद में तीन नदियों का संगम है, जो दुनिया भर में मशहूर है. देश के हर कोने से लोग यहां गंगा मां के दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन जब उसी संगम तट पर छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने के बजाय काम करते नजर आते हैं तो ये देखकर दिल दुखता है. पढ़िए संगम के इस दृश्य के हालात को बयां करती हुई ये विकास गोंड की कविता...

संगम तट पर,

संगम पर...मैं!

छांव में बैठा,

बड़ी भावुकता से,

लहरों को देख रहा.

हवा के प्रभाव से लहरें,

किनारों से टकरा रही हैं.

अस्तित्वहीन लहरें,

करती हैं उत्पन्न

सबसे करुणामय स्वर!

वहां से उत्पन्न ध्वनि से,

आकुल हो रहा मेरा अंतःमन.

धूप में अंगारे की तरह,

धधक उठने वाले रेत,

महज शुष्क रेगिस्तान बनकर रह गए हैं!

अपने मित्रों से अलग,

एकांत में बैठकर.

उन्हें अभिनय करते देखना,

बहुत संगीतमय प्रतीत हो रहा!

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इन दृश्यों को,

कैद कर रहे हैं सभी.

फोन में, कैमरे में...

मैं अपने दीर्घकालिक स्मृतियों में!

उधर... उस तरफ से,

छोटा सा एक बच्चा,

चला आ रहा मेरी तरफ,

कंधे में झोला टांगे.

हाथों को लहराते,

जिसे परिस्थितियों ने,

कम उम्र में ही समझदार बना दिया है!

पहाड़ जब चुपचाप डूब रहा होता है,

चुल्लू भर पानी में.

वह कंधे पर झोले में जिम्मेदारी को उठाए,

गुनगुनाते हुए कोई अधूरी नज्म,

फिरता रहता है संगम के तट पर.

घंटों अभिनय करने के उपरांत,

सभी मित्र लौट रहे हैं,

हाथ में समान उठाए,

संगम तट पर.

- विकास गोंड, छात्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT