Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नोएडा बॉर्डर पर रोता हुआ कुल्फी वाला-‘मर जाऊंगा,दिल्ली नहीं आऊंगा’

नोएडा बॉर्डर पर रोता हुआ कुल्फी वाला-‘मर जाऊंगा,दिल्ली नहीं आऊंगा’

नोएडा में एंट्री दी गई, लेकिन कहा गया कि वो अपना कुल्फी का ठेला वहीं छोड़ जाए

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
नोएडा में एंट्री दी गई, लेकिन कहा गया कि वो अपना कुल्फी का ठेला वहीं छोड़ जाए
i
नोएडा में एंट्री दी गई, लेकिन कहा गया कि वो अपना कुल्फी का ठेला वहीं छोड़ जाए
(फोटोः Altered By Quint)

advertisement

दिल्ली से परिवार के साथ अपने घर उत्तर प्रदेश के बदायूं के लिए निकले 24 साल के सतवीर को दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर रोक लिया गया. उसे जबरन रोककर शेल्टर होम में रहने को कहा गया, जैसा उन सभी लोगों के साथ हो रहा है जो दिल्ली-नोएडा होते हुए अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं.

जब सतवीर से पूछा गया कि वो दिल्ली से जा रहे हैं क्या वापस आएंगे, तो उसने रोते हुए कहा,

“अब मर जाऊंगा पर दिल्ली वापस नहीं आऊंगा और जो मेरे जानने वाले आएंगे उन्हें भी कहूंगा कि वहां मत जाओ. गांव में ही रहकर दो रोटी कमाओ.”

नोएडा में एंट्री दी गई, लेकिन कहा गया कि वो अपना कुल्फी का ठेला वहीं छोड़ जाए

सतवीर को दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर 18 मई को रोका गया, जब वो अपनी बीवी और बच्चों के साथ घर जाने की कोशिश में बॉर्डर क्रॉस कर रहा था. घंटों तक इंतजार करने के बाद किसी तरह उसे नोएडा में एंट्री दी गई, लेकिन कहा गया कि वो अपना कुल्फी का ठेला वहीं छोड़ जाए. जब उसने नोएडा पुलिस से गुजारिश करते हुए कहा कि उसका ठेला भी उसे दे दिया जाए, तो पुलिस ने साफ इनकार कर दिया.

इतना ही नहीं बॉर्डर से सतवीर के पूरे परिवार को नोएडा सेक्टर 19 के एक शेल्टर होम ले जाया गया. सतवीर इस दौरान पुलिस से कहता रहा कि उसे उसके चाचा के पास जाने दिया जाए, जो नोएडा में ही रहते हैं. लेकिन पुलिस ने उससे कहा कि अगर उसके चाचा शेल्टर होम उसे ले जाने के लिए आते हैं तो ही पुलिस उसे जाने देगी. लेकिन सतवीर के चाचा काफी बुजुर्ग हैं और वो उसे लेने नहीं आ सकते थे. इसीलिए उसे उसके घर बदायूं जाने के लिए मजबूर किया गया.

इसके दो दिनों के बाद जब क्विंट ने सतवीर से फिर संपर्क किया तो वो बदायूं अपने घर पहुंच चुका था. वो अपने परिवार के पास पहुंचकर खुश था, लेकिन उसे इस बात का दुख था कि उसे नोएडा में रह रहे उसके चाचा के पास नहीं जाने दिया गया, जहां वो अपना गुजारा कर सकता था. सतवीर ने कहा,

“मुझे कोई उम्मीद नहीं है कि मेरा कुल्फी का ठेला अब वापस मिलेगा. मैं अपने चाचा के पास जाना चाहता था और उनके साथ खेतों में काम करना चाहता था, जिससे थोड़ी कमाई हो सके. लेकिन पुलिस ने नहीं जाने दिया. जिसके बाद मैं अपने गांव लौट गया, यहां कुछ फसल लगाकर अपने परिवार का गुजारा करूंगा.”
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कर्ज के बोझ में डूबते प्रवासी मजदूर

दिल्ली में करीब चार साल गुजारने क बाद सतवीर के पास कुल्फी का ठेला ही जिंदगी बसर करने का एकमात्र जरिया था. इस वक्त सतवीर के ऊपर करीब 30 हजार रुपये का कर्ज भी है. लॉकडाउन के चलते लगातार उस पर ब्याज बढ़ता जा रहा है. सैकड़ों अन्य प्रवासी मजदूरों की ही तरह सतवीर ने भी बिना नौकरी, सिर पर छत और पेट पालने के लिए खाना न मिलने पर दिल्ली छोड़ने का फैसला किया.

सतवीर ने नोएडा में अपने चाचा के जरिए खेत में काम करने का रोजगार ढूंढ़ लिया था, लेकिन दिल्ली छोड़ने पर उसने अपनी कुल्फी का ठेला तक गंवा दिया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 23 May 2020,07:53 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT