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राजनीति में कौन किसका सगा है और किसने किसको ठगा है ये ठगने वाले और ठगाने वाले ही जानते हैं. बाकी तो सिर्फ सूत्रों के हवाले से खबर बन रही होती है, बनाई जा रही होती है. इसीलिए हमने भी इसी खबरों के बीच ये सोचा कि जब 2018 बाय-बाय हो रहा है तो क्यों ना आपको भी 2018 के राजनीतिक गेम्स की कहानी बता दें. मतलब इस साल ठगने से लेकर गले मिलने, जुदा होने, भिड़ने-भिड़ाने, जीतने-हारने, कसमे वादे टूटने से लेकर वो भी हुआ जो पहले कभी नही हुआ था. आसान शब्दों में इस साल देश की राजनीति में क्या क्या ऐसा हुआ जो 2018 को यादगार बनाता है.
14 मार्च 2018 ऐसा दिन था जब उत्तर प्रदेश की सियासत के दो धुरंधर और पुराने दुश्मनों एक साथ आए. शायद कभी किसी ने ये सोचा भी नहीं होगा कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कभी साथ आएंग, लेकिन ऐसा हुआ. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को पटखनी देने के बाद अखिलेश यादव मायावती से मिलने के लिए उनके घर गए, यही नहीं अब दोनों 2019 में एक साथ चुनाव लड़ने को भी तैयार हैं.
मार्च में ही एक और उलटफेर हुआ और एनडीए के पुराने साथी रहे टीडीपी यानी तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को झटका देते हुए एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया. चंद्रबाबू काफी समय से आंध्र प्रदेश के लिए मोदी सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे, जो पुरा नहीं हुआ तो अपने 16 सांसदों को लेकर वो एनडीए से बाहर हो गए.
2018 लालू परिवार के लिए बेहद खराब रहा, इसी साल लालू प्रसाद यादव को सजा हुई और जेल जाना पड़ा. चारा घोटाले के चौथे मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने 14 साल की सजा सुनाई है, इसके साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. लालू आजकल अपनी सेहत को लेकर भी परेशान है, उनकी सेहत दिन-ब दिन बिगड़ती ही जा रही है.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए 2018 माफीनामे का साल रहा. केजरीवाल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से माफी मांगी. इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल के महासचिव बिक्रम सिंह मजीठिया से भी उन्होंने माफी मांगी. हालांकि ये वही केजरीवाल हैं, जो एक वक्त पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इन नेताओं के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ने का दावा किया करते थे.
बीजेपी ने पहली बार पीडीपी के साथ मिलकर कश्मीर में सरकार बनाई थी. दोनों पार्टियों का गठबंधन उत्तर और दक्षिण का मिलन माना गया था. बड़ी मुश्किल से ये सरकार 2 साल तक चली, लेकिन आखिर में वही हुआ जिसका डर था, घिस घिसकर चल रही ये सरकार आखिर गिर ही गई, बीजेपी को समर्थन वापस लेना पड़ा और इस तरह पहली बार जम्मू-कश्मीर में बनी बीजेपी की सरकार अपने 5 साल भी पूरे नहीं कर पाई.
अप्रैल में कांग्रेस समेत कुछ और विपक्षी दलों के कुल 64 सांसदों ने तत्कालीन जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव दिया था. इन पार्टियों ने राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था. भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस दिया गया.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 104 विधायकों ने जीत हासिल की थी और सदन में बहुमत साबित करने के लिए उसे 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी. यह संख्या जुटाने में येदियुरप्पा और उनकी बीजेपी सरकार नाकाम रही और विश्वास मत हासिल करने के पहले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनके इस इस्तीफे के साथ ही राज्य में जेडी-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया. कांग्रेस 78 सीटों जीतकर भी सरकार बनाने में कामयाब हुई. कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देकर सरकार बना ली और कुमार स्वामी सीएम बने.
मोदी सरकार को अपने कार्यकाल में पहली बार अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा. मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. मोदी सरकार को वोटिंग में 325 वोट मिले ,जबकि विपक्ष के केवल 126 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़े. टीडीपी सांसद की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर किया था, जिसके बाद चर्चा के लिए दिन तय हुआ था. विपक्ष के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 11 घंटों की लंबी बहस चली. अविश्वास प्रस्ताव पर कुल 451 वोट पड़े. इस वोटिंग में विपक्ष के 126 के मुकाबले मोदी सरकार को 325 वोट मिले.
आजादी के बाद देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हलचल मचा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगाए. मीडिया से बात करते हुए इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है
2018 में राफेल का मुद्दा पूरे साल छाया रहा, कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने राफेल के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि भारत ने राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाने की शर्त रखी गई थी. इससे कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ एक नया हथियार हाथ लग गया. सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार को जो राहत मिली, उसमें विवाद खड़ा हो गया है.
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में मचा घमासान मोदी सरकार की बड़ी किरकिरी करा गया. डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई खुलेआम हो गई. दोनों ने एक दूसरे पर रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया.
रातों रात राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया. मोदी सरकार ने रात 12 बजे नया अंतरिम डायरेक्टर बना दिया. अब मामला कोर्ट में है.
2018 बीतते-बीतते पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव ने बीजेपी को बड़ा झटका दे दिया. पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कब्जा जमा बैठी बीजेपी के हाथ से कांग्रेस ने सत्ता छीन ली, तो वहीं राजस्थान में भी वसुंधरा राजे का राज-पाठ छिन गया. इन तीन बड़े राज्यों में बीजेपी का हार 2019 से पहले उसे बड़ा जख्म दे गया. जो आने वाले वक्त तक नहीं भर पाएगा.
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