ADVERTISEMENTREMOVE AD

नरेंद्र मोदी को 2018 में लगे ये झटके, 2019 का सफर कैसा रहेगा? 

इस साल कई ऐसी घटनाएं घटीं, जिससे बीजेपी और पीएम मोदी के दामन पर दाग भी लग गया.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2018 बहुत खराब साबित हुआ है. 2014 के बाद ये पहला मौका है जब कोई साल पीएम मोदी को एक के बाद एक लगातार झटके लगे हैं. मोदी की दो सबसे बड़ी खासियत या काबिलियत पर सवाल उठ खड़े हुए. पहला राफेल सौदे में विवाद से उनकी भ्रष्टाचार विरोधी इमेज पर सवाल उठे. दूसरा CBI और RBI में जो हुआ उससे उनकी प्रशासनिक काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह लग गया.

दो मामले हुए CBI डायरेक्टर को हटाना पड़ा, RBI गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया. सभी संस्थानों पर सवाल उठ गए और साल जाते जाते बीजेपी अपने गढ़ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी गवां बैठी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राफेल विवाद

राफेल सौदा मोदी सरकार के लिए मुश्किल बन गया. राहुल गांधी के आरोपों के बीच जैसे ही फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि भारत ने राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाने की शर्त रखी गई थी. इससे कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ एक नया हथियार हाथ लग गया. सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार को जो राहत मिली, उसमें विवाद खड़ा हो गया है.

ये भी पढ़ें- राफेल सौदे पर क्यों मचा है हंगामा? ये हैं 5 बड़ी वजह

सीबीआई VS सीबीआई

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में मचा घमासान मोदी सरकार की बड़ी किरकिरी करा गया. डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई खुलेआम हो गई. दोनों ने एक दूसरे पर रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया.

रातों रात राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया. मोदी सरकार ने रात 12 बजे नया अंतरिम डायरेक्टर बना दिया. अब मामला कोर्ट में है.

CBI vs CBI सरकार की राजनीतिक पूंजी का ‘डिमॉनेटाइजेशन’ तो नहीं?

आरबीआई से झगड़ा

मोदी सरकार और आरबीआई के बीच का झगड़ा इस साल सुर्खियों में रहा. गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक के कामकाज में सरकार की दखलांदाजी पसंद नहीं आई और मतभेत इतने बढ़े कि उर्जित पटेल ने इस्तीफा तक दे डाला.

रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल को मोदी सरकार ने अगस्त 2016 में नियुक्त किया था. उर्जित के कार्यकाल में ही नवंबर 2016 में ही पीएम मोदी ने नोटबंदी का फैसला किया था.

सरकार रिजर्व बैंक से ज्यादा डिविडेंड चाहती थी, बैंकों को कर्ज देने में ढील चाहती थी,लेकिन बात बनी नहीं और गवर्नर ने पद छोड़ दिया. अब आर्थिक मामलों के पूर्व सेक्रेटरी शक्तिकांता दास नए रिजर्व बैंक गवर्नर हैं.

कई साथी छूटे

चंद्रबाबू नायडू ने किया एनडीए से किनारा

पीएम नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा झटका उनके कुछ पुराने साथियों से मिला. कई सालों से एनडीए के साथी रहे टीडीपी यानी तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को झटका देते हुए एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया. टीडीपी भी एनडीए की पुरानी सहयोगी रही है. चंद्रबाबू काफी समय से आंध्र प्रदेश के लिए मोदी सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे, जो पुरा नहीं हुआ तो अपने 16 सांसदों को लेकर वो एनडीए से बाहर हो गए.

कुशवाहा भी हो गए बेगाने

2018 खत्म होते-होते ही बीजेपी के एक और साथी ने साथ छोड़ दिया. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए का साथ तो छोड़ा ही तुरंत यूपीए का हाथ भी थाम लिया. वहीं कुशवाहा दूसरे साथियों से अपील भी कर रहे हैं कि बीजेपी का साथ छोड़ दो.

चाणक्य चुनाव हार गए

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे ज्यादा 104 सीटें लाकर भी सरकार नहीं बना सकी. वहीं कांग्रेस 78 सीटों जीतकर भी सरकार बनाने में कामयाब हुई. कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देकर सरकार बना ली और कुमार स्वामी सीएम बने.

कर्नाटक के बाद बीजेपी को जोर का झटका दिया हालिया पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव ने. पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कब्जा जमा बैठी बीजेपी के हाथ से कांग्रेस ने सत्ता छीन ली, तो वहीं राजस्थान में भी वसुंधरा राजे का राज-पाठ छिन गया. इन तीन बड़े राज्यों में बीजेपी का हार 2019 से पहले उसे बड़ा जख्म दे गया. जो आने वाले वक्त तक नहीं भर पाएगा.

मध्यप्रदेश में ज्यादा वोट पाकर भी क्यों हार गई बीजेपी?

जम्मू-कश्मीर भी हाथ से निकला

बीजेपी ने पहली बार पीडीपी के साथ मिलकर कश्मीर में सरकार बनाई थी. दोनों पार्टियों का गठबंधन उत्तर और दक्षिण का मिलन माना गया था. बड़ी मुश्किल से ये सरकार 2 साल तक चली, लेकिन आखिर में वही हुआ जिसका डर था, घिस घिस कर चल रही ये सरकार आखिर गिर ही गई, बीजेपी को समर्थन वापस लेना पड़ा और इस तरह पहली बार जम्मू-कश्मीर में बनी बीजेपी की सरकार अपने 5 साल भी पूरे नहीं कर पाई.

सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस

2018 की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ा दी थी. मीडिया से बात करते हुए इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है. अगर हमने अपनी बातें सबके सामने नहीं रखीं, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सरकार पर विपक्ष ने सवाल उठाया.

ये भी पढ़ें-

मोदी जी,  इंडियन स्टार्टअप पर ‘एंजेल टैक्स’ का चाबुक मत चलाइये

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×