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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि केंद्र ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर समग्र रूप से विचार किया है, जिसमें पराली जलने के कारण होने वाला प्रदूषण भी शामिल है. उन्होंने अदालत को भरोसा दिलाया कि केंद्र इस मुद्दे से निपटने के लिए अगले तीन से चार दिनों में प्रदूषण से जुड़ा एक कानून लाएगा.
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता से कहा, वह वायु प्रदूषण के खतरे को दूर करने के लिए एक निकाय की स्थापना के केंद्र के फैसले का स्वागत करता है.
मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार तीन से चार दिनों में कानून लेकर आएगी और सरकार वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की एक स्थायी संस्था स्थापित करने की भी इच्छुक है.
मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि पराली जलाने की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर को नियुक्त करने वाले आदेश पर रोक लगाई जाए.
दरअसल, पिछली सुनवाई में अदालत ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली की निगरानी (मॉनिटरिंग) के लिए पूर्व न्यायाधीश लोकुर को एक सदस्यीय निगरानी समिति नियुक्त करने का आदेश दिया था.
शीर्ष अदालत ने दोहराया कि वह केंद्र के इस कदम का स्वागत करती है, जिसमें वह वार्षिक वायु प्रदूषण समस्या से निपटने के लिए एक कानून बनाकर एक स्थायी निकाय बनाएगी, जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलने वाली पराली का प्रदूषण भी शामिल है.
पीठ ने मेहता की दलीलों का विरोध करने वाले वकीलों से कहा कि अगर केंद्र वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक कानून लाने का इरादा रखता है, तो फिर अदालत को इसमें हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए.
इस मामले में पीआईएल दायर करने वाले याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पीठ के समक्ष कहा, "मैं आदेश को निलंबित करने के लिए भारत सरकार के हित को नहीं समझ पा रहा." मेहता ने दोहराया कि कानून तीन से चार दिनों के भीतर लाया जाएगा. शीर्ष अदालत की ओर से इस मामले में गुरुवार को फिर से सुनवाई होने की संभावना है.
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