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सरकार के एक फैसले ने कश्मीरियों को मुश्किल में डाल दिया है. करीब 72 दिनों की पाबंदी के बाद जम्मू-कश्मीर में सोमवार, 14 अक्टूबर पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं बहाल की गईं. इसके बाद पोस्टपेड मोबाइल यूजर्स को कॉल करने के लिए, 30 सितंबर तक का बकाया भुगतान करने को कहा गया.
क्विंट ने कश्मीर के लोगों से बात की, जिन्होंने कहा कि उनके साथ काफी गलत हो रहा है. उन्हें उस सेवा का भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है जिसे 70 दिनों तक उन्होंने इस्तेमाल ही नहीं किया, खासकर तब, जब ये बैन केंद्र सरकार ने लगाया हो.
जम्मू और कश्मीर के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रोहित कंसल ने शनिवार, 12 अक्टूबर को बताया था कि लगभग 40 लाख पोस्टपेड मोबाइल फोन सोमवार दोपहर बाद से चालू हो जाएंगी.
हालांकि, प्रीपेड और इंटरनेट कनेक्शन पर अभी भी बैन लगा हुआ है.
बीएसएनएल और अन्य ऑपरेटरों के कार्यालयों में भारी भीड़ और लंबी लाइनें लगी हुई है. इस बारे में कई लोगों ने क्विंट से बात की.
श्रीनगर के लाल चौक पर एक मेडिकल शॉप के मालिक मोहम्मद नजीर ने कहा, 'मैं आज सुबह 11 बजे बीएसएनएल ऑफिस पहुंचा और दोपहर डेढ़ बजे जाकर अपने बिलों का भुगतान कर सका. वहां कम से कम 500 से ज्यादा लोग थे.'
नजीर के 28 वर्षीय भाई मोहम्मद मसरूर ने कहा कि एयरटेल ने उन्हें अगस्त और सितंबर के लिए 2,500 रुपये का बिल भेजा है. मसरूर ने अपने मेडिकल स्टोर, कल्ला मेडिकेड से लैंडलाइन फोन से क्विंट से कहा,
बारामुल्ला के रहने वाले शयन नबी को अपने बीएसएनएल पोस्टपेड कनेक्शन पर कॉलिंग की सुविधा प्राप्त करने के लिए अगस्त-सितंबर के महीनों के लिए कुल 1,102 रुपये का भुगतान करना पड़ा. उन्होंने पूछा, 'ये कैसे सही है? हमें उस सर्विस का भुगतान करने के लिए क्यों कहा जा रहा है जिसका हमने इस्तेमाल ही नहीं किया, और जिसपर सरकार ने खुद बैन लगाया था.?'
नबी ने आगे कहा, 'खुसकिस्मती से, मैं इस समय कश्मीर से बाहर हूं और ऑनलाइन इसका भुगतान कर सकता हूं, लेकिन इंटरनेट बंद होने के कारण मेरा परिवार और दोस्त ऐसा नहीं कर सकते. उन्हें ऑफिस के बाहर लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है.'
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