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प्रभात गुप्ता मर्डर:केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र को बरी करने के फैसले पर HC की मुहर

Ajay Mishra Teni को ट्रायल कोर्ट ने 2004 में बरी कर दिया था. इस फैसले को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी.

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>प्रभात गुप्ता हत्याकांड पर फैसला</p><p></p></div>
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प्रभात गुप्ता हत्याकांड पर फैसला

(फोटो: क्विंट)

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लखीमपुर खीरी में प्रभात गुप्ता हत्याकांड (Prabhat Gupta Murder Case) के 23 साल बाद इसपर हाइकोर्ट का फैसला आया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को सही बताया है जिसमें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' को 2004 में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन इस अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

इस केस में 4 लोग आरोपी थे, जिसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का भी नाम शामिल था.

इससे पहले कोर्ट ने 21 फरवरी 2023 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच इस फैसले में शामिल रही. प्रभात गुप्ता की हत्या 8 जुलाई 2000 को हुई थी.

प्रभात गुप्ता की फाइल फोटो

(क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

क्या है प्रभात गुप्ता हत्याकांड?

वर्ष 2000 में समाजवादी पार्टी की यूथ विंग के सदस्य प्रभात गुप्ता घर लौट रहे थे तभी लखीमपुर खीरी में सरे बाजार उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आरोपी टेनी तब से बीजेपी से ही जुड़े हुए हैं. हालांकि, अजय मिश्रा टेनी को ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 2004 में बरी कर दिया था, लेकिन फिर सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

प्रभात गुप्ता की फाइल फोटो

(क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

आरोप लगाया गया कि प्रभात को दिन के तकरीबन 3:30 बजे बीच रास्ते में पहली गोली अजय मिश्रा ने उसकी कनपटी पर मारी और दूसरी गोली सुभाष मामा ने प्रभात के सीने में मारी थी, जिसके बाद प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई. प्रभात गुप्ता के पिता संजय गुप्ता की तहरीर पर अजय मिश्रा के अलावा सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी ,राकेश डालू भी आरोपी बनाये गये थे.

प्रभात गुप्ता हत्याकांड की FIR कॉपी

(क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

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अब तक तीन बार रिजर्व किया गया फैसला

पिछले 5 साल में इस संवेदनशील केस में कोर्ट ने तीन बार फैसला रिजर्व किया.

  • पहली बार 12 मार्च 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह ने फैसला रिजर्व किया.

  • दूसरी बार 10 नवम्बर 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनु अग्रवाल ने फैसला रिजर्व किया.

  • तीसरी बार 21 फरवरी 2023 को जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने फैसला रिजर्व किया.

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Published: 19 May 2023,04:26 PM IST

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