Home News India SC के कामकाज पर सवाल उठा चुके जस्टिस गोगोई बने CJI, 10 बड़ी बातें
SC के कामकाज पर सवाल उठा चुके जस्टिस गोगोई बने CJI, 10 बड़ी बातें
राष्ट्रपति ने जस्टिस रंजन गोगोई को देश का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया है.
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जस्टिस रंजन गोगोई ने ली सीजेआई पद की शपथ
(फोटोः PTI)
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जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को भारत के 46वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 63 साल के जस्टिस गोगोई को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में एक समारोह में शपथ दिलायी. जस्टिस गोगोई ने ईश्वर को साक्षी मानकर अंग्रेजी में पद की शपथ ली. भारत के चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल 13 महीने से थोड़ा ज्यादा होगा और वह 17 नवंबर 2019 को रिटायर होंगे. वह जस्टिस दीपक मिश्रा की जगह देश के चीफ जस्टिस बने हैं.
जस्टिस मिश्रा ने इस पद के लिये सीजेआई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को नामित करने की स्थापित परंपरा के अनुसार इस महीने के शुरू में चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस गोगोई के नाम की सिफारिश की थी.
जस्टिस गोगोई समेत कुछ वरिष्ठ जजों ने इसी साल जनवरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर खास मुद्दों, खासकर कुछ निश्चित पीठों को मामले भेजने के तरीकों की आलोचना की थी, जिसके बाद जस्टिस गोगोई की सीजेआई के तौर पर नियुक्ति की अटकलें बढ़ गयी थीं. जस्टिस जे. चेलमेश्वर (अब रिटायर्ड), जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ उन अन्य लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था.
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चीफ जस्टिस गोगोई के बारे में 10 बड़ी बातें
पूर्वोत्तर राज्यों से चीफ जस्टिस के पद तक पहुंचने वाले जस्टिस गोगोई पहली हस्ती हैं.
असम के एनआरसी और लोकपाल कानून के तहत लोकपाल संस्था की स्थापना जैसे विषयों पर सख्त रूख अपनाने वाले न्यायमूर्ति गोगोई 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने तक करीब 13 महीने देश के चीफ जस्टिस रहेंगे.
केरल में फरवरी, 2011 में एक ट्रेन में हुए सनसनीखेज सौम्या बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति व्यक्त करते हुये पूर्व जस्टिम मार्कण्डेय काटजू ने तब सोशल मीडिया पर तल्ख टिप्पणियां की थी.
इसे लेकर जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 नवंबर, 2016 को पूर्व सहयोगी न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू को अवमानना का नोटिस जारी करके सनसनी पैदा कर दी थी.
ये पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही पूर्व सदस्य के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था. जस्टिस काटजू ने बाद में अपनी टिप्पणियों के लिये न्यायालय से क्षमा मांग ली थी जिसे स्वीकार करते हुये न्यायमूर्ति गोगोई की पीठ ने मामला खत्म कर दिया था.
इसी तरह, असम के एनआरसी के मसौदे के संबंध में मीडिया से बात करने पर इस काम से जुड़े अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुये जस्टिस गोगोई की पीठ ने उन्हें सख्त चेतावनी दी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद लोकपाल संस्था की स्थापना और लोकपाल की नियुक्ति में हो रहे विलंब को लेकर दायर अवमानना याचिका पर भी जस्टिस गोगोई की पीठ ने सख्त रूख अपना रखा है.
जस्टिस गोगोई की 23 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के पद पर प्रमोशन हुआ था.
असम के डिब्रूगढ़ में 18 नवंबर, 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत शुरू की और 28 फरवरी, 2001 को उन्हें गोवाहाटी हाईकोर्ट का स्थाई न्यायाधीश बनाया गया.
इसके बाद 9 सितंबर, 2010 का उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में किया गया और 12 फरवरी, 2011 को उन्हें इसी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था.
असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के पुत्र न्यायमूर्ति गोगोई ने असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी, सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों को उम्र कैद की सजा से छूट तथा लोकपाल जैसे अहम फैसले दिए हैं.