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द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी. चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और द्रौपदी मुर्मू को करीब 64 फीसदी वोट मिले हैं जबकि विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को सिर्फ 36 फीसदी वोट मिले. इससे एक बात तो सामने है कि राष्ट्रपति चुनाव में भारी क्रॉस-वोटिंग की वजह से द्रौपदी मुर्मू की जीत बड़ी हो गई है. एनडीए के साथ-साथ विपक्षी दलों के सासंदों और विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट किया. बताया जा रहा है कि मुर्मू के पक्ष में 14 राज्यों के 121 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जिसमें से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के करीब 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है.
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास विधानसभा में 96 विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 79 वोट मिले हैं, जबकि NDA उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को मध्यप्रदेश से 146 वोट मिले हैं. मतलब करीब 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है.
मुर्मू को मध्यप्रदेश में ज्यादा वोट मिलने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा,
दरअसल, द्रौपदी मुर्मू को क्रॉस वोटिंग के पीछे एक और वजह ये भी मानी जा रही है कि वो आदीवासी समाज से आती हैं और मध्यप्रदेश विधानसभा में 47 सीटें आदिवासी समाज के लिए आरक्षित हैं. ऐसे में आदिवासी समाज से आने वाले विधायकों ने हो सकता है पार्टी लाइन से हटकर मुर्मू को समर्थन दिया हो.
क्रॉस वोटिंग की वजह से ये सवाल भी अहम हो गया है कि क्या 2023 में होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बज गई है? क्योंकि पहले ही पार्टी अंदरुनी लड़ाई की वजह से मध्यप्रदेश में सत्ता गंवा चुकी है, और अब क्रॉस वोटिंग की बात. वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने आदिवासी समाज से राष्ट्रपति बनाने को लेकर राजनीतिक तौर पर बड़ा संदेश देने की कोशिश भी की है.
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