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केंद्रीय कैबिनेट के 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में दोषियों को मौत की सजा समेत सख्त सजा के प्रावधान वाले अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति से इस अध्यादेश को मंजूरी मिल जाने के बाद अब इसे देशभर में लागू कर दिया जाएगा. इस अध्यादेश के लागू होने के बाद 12 साल तक की बच्चियों के साथ रेप करने वालों को कड़ी सजा मिल सकेगी.
इस अध्यादेश को शनिवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गयी थी, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास उनकी मंजूरी के लिए भेज दिया गया था. इस अध्यादेश में रेप के लिए फांसी के साथ-साथ 7 साल की न्यूनतम सजा को बढ़ाकर 10 साल करने का प्रावधान है.
केंद्र की मोदी सरकार ने यह कदम जम्मू के कठुआ में 8 साल की मासूम की गैंगरेप के बाद हत्या, एटा में 9 साल की बच्ची से रेप के बाद हत्या और गुजरात के सूरत में 11 साल की बच्ची से रेप की घटनाओं के बाद उठाया है. इस अध्यादेश के पीछे सरकार का मकसद देश की महिलाओं, खासकर मासूम बच्चियों को सुरक्षित महसूस कराना है.
आपराधिक कानून (संशोधित) अध्यादेश, 2018 के जरिए सरकार रेप के मामलों में सख्ती के साथ महिलाओं और खासतौर से देश की बेटियों में सुरक्षा की भावना पैदा करना चाहती है.
रेप की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने ऐसे मामलों की जांच और सुनवाई में तेजी लाने पर जोर दिया है. जिससे पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय मिल सके. सरकार ने जांच और सुनवाई के लिए समय सीमा तय की है.
सरकार ने कहा कि रेप के हर मामले की जांच किसी भी हाल में दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी. जांच के अलावा रेप मामलों की सुनवाई के लिए भी सरकार ने दो महीने का वक्त तय किया है. इसके अलावा रेप मामलों में अपील और अन्य सुनवाई के लिए अधिकतम छह महीने का वक्त तय किया गया है.
सरकार ने रेप के मामलों को लेकर गंभीरता दिखाई है. सरकार ने अध्यादेश में तय किया है कि 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप या गैंगरेप के आरोपी को अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा.
इसके अलावा 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में जमानत पर सुनवाई से पहले कोर्ट को पब्लिक प्रोसिक्यूटर और पीड़ित पक्ष को 15 दिन का नोटिस देना होगा.
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