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बच्चों से रेप के दोषियों को मिलेगी फांसी, अध्यादेश लाएगी सरकार

कैबिनेट ने यह भी फैसला किया है कि रेप के मामलों में तेज जांच और सुनवाई के सभी उपाए सुनिश्चित किए जाएंगे

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बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी

प्रधानमंत्री आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फैसला

संशोधन के लिए अध्यादेश लाएगी सरकार

केंद्रीय कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला करते हुए 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. शनिवार को प्रधानमंत्री आवास पर हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ये फैसला किया गया. अब संशोधन के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी.

जम्मू के कठुआ से लेकर सूरत और इंदौर में बच्चों के साथ हुई रेप की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने ये कड़ा कदम उठाया है. सरकार बाल यौन अपराध निरोधक कानून (पॉस्को एक्ट) में संशोधन का अध्यादेश लाएगी. जिसमें 12 साल तक की नाबालिग से रेप के दोषी को फांसी की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.

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फिलहाल पॉक्सो एक्ट में ज्यादा से ज्यादा जिंदगी भर जेल और कम से कम सात साल कैद की सजा का प्रावधान है.

क्या है पोक्सो एक्ट?

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले के बाद सरकार ने कानून में संशोधन किया था. इसके साथ ही सरकार ने बच्चों के साथ छेड़खानी और बलात्कार जैसे अपराध को रोकने के लिए एक खास कानून बनाया था. जिसका नाम रखा गया प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अॉफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. जिसे हम पॉक्सो एक्ट कहते हैं.

इस ऐक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से प्रोटेक्शन देती है.

अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा

  • इस एक्ट की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म किया गया हो. इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
  • पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के जरिए उन मामलों को देखा जाता है जिनमें बच्चों को बलात्कार या छेड़छाड़ के बाद गंभीर चोट पहुंचाई गई हो. इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
  • धारा 7 और 8 के तहत उन मामलों में सजा सुनाई जाती है जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेड़छाड़ की जाती है.
  • अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चे से टच कराता है तो धारा-8 के तहत 3 साल से लेकर 5 साल तक कैद हो सकती है.
  • बच्चों के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट को धारा-11 में डिफाइन किया गया है. अगर कोई शख्स गलत नियत से बच्चों के सामने सेक्सुअल हरकतें करता है, या उसे ऐसा करने को कहता है, पोर्नोग्राफी दिखाता है तो 3 साल तक कैद की सजा हो सकती है.

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