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राष्ट्रपति कोविंद का देश के नाम संबोधन, बोले- संसद हमारे लोकतंत्र का मंदिर

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को किया संबोधित

क्विंट हिंदी
भारत
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 
(फोटो: PTI)

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देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों को लेकर दुख जताया, साथ ही लोगों से कहा कि अभी कोरोना वायरस का प्रभाव खत्म नहीं हुआ है. इसके अलावा राष्ट्रपति कोविंद ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को मिलने वाले मेडलों को लेकर भी बात की.

राष्ट्रपति बोले- अभी खत्म नहीं हुआ कोरोना वायरस

राष्ट्रपति ने सबसे पहले तमाम लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि, देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!. इस वर्ष के स्वाधीनता दिवस का विशेष महत्व है क्योंकि इसी वर्ष से हम सब अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि,

"महामारी की तीव्रता में कमी आई है लेकिन वायरस का प्रभाव अभी समाप्त नहीं हुआ है. पिछले साल हमारे लोगों के असाधारण प्रयासों के बल पर हम संक्रमण के प्रसार पर काबू पाने में सफल रहे थे. हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत कम समय में वैक्सीन तैयार करने का कठिन काम संपन्न कर लिया था."
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भारत ने ओलंपिक में रचा इतिहास

कोरोना वैक्सीनेशन का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि, हमारे देश में चल रहे विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 50 करोड़ से अधिक देशवासियों को वैक्सीन लग चुकी है. मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूं कि वे प्रोटोकॉल के अनुरूप जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लें और दूसरों को भी प्रेरित करें.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित करते हुए ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि,

"टोक्यो ओलंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से देश का गौरव बढ़ाया है. भारत ने ओलंपिक खेलों में अपनी भागीदारी की 121वर्षों में सबसे अधिक पदक जीतने का इतिहास रचा है."

उन्होंने आगे कहा कि, हमारा लोकतंत्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है, इसीलिए संसद हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. ये सभी देशवासियों के लिए ये बहुत गर्व की बात है कि हमारे लोकतंत्र का ये मंदिर निकट भविष्य में ही एक नए भवन में स्थापित होने जा रहा है. ये भवन हमारी रीति और नीति को अभिव्यक्त करेगा.

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