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भारतीय राष्ट्रपति चुनाव 2022 (Presidential Election 2022) की चर्चा अभी से शुरू हो गई है. चर्चा का विषय है कि सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष किन उम्मीदवारों को समर्थन देंगे. जो नाम सामने आ रहे हैं, उनमें एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का नाम भी शामिल है.
हालांकि, पवार ने इन खबरों और अटकलों को 'गलत' बताया है. पवार ने दावा किया कि बीजेपी के 300 सांसद होने की वजह से नतीजा वो जानते हैं.
लेकिन अगला राष्ट्रपति चुने जाने से पहले उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अगले साल जुलाई में पद छोड़ देंगे. तो आइए जानते हैं कि भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है?
भारत के राष्ट्रपति को एक इलेक्टोरल कॉलेज चुनता है, जिसके सदस्य होते हैं:
सभी विधानसभाओं के सदस्य (पुडुचेरी और दिल्ली समेत)
राज्यसभा और लोकसभा सदस्य
राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं है.
कुल मिलाकर विधानसभाओं के 4120 सदस्य और 776 संसद सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं.
विधायक के वोट का मूल्य राज्यों पर निर्भर करता है. राज्य की आबादी वोट का मूल्य तय करती है.
मूल्य तय करने के लिए 1971 सेंसस के मुताबिक राज्य की कुल आबादी को कुल विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है और फिर इसे 1000 से गुणा किया जाता है.
इस कैलकुलेशन से दिल्ली के एक विधायक के वोट का मूल्य 58, यूपी में 218 और सिक्किम में 7 होता है. इस तरह से कैलकुलेशन करने पर विधायकों के कुल वोट का मूल्य 5,49,495 आता है.
लोकसभा और राज्यसभा के सांसद के वोट का मूल्य एक ही होता है और ये 708 होता है.
इसे तय करने के लिए विधायकों के वोट के कुल मूल्य को दोनों सदनों में चुने हुए सांसदों की संख्या से भाग दिया जाता है. 5,49,495 को 776 से भाग देने पर 708 का आंकड़ा आता है.
चुने हुए सांसद और विधायकों के वोटों का कुल मूल्य हमें इलेक्टोरल कॉलेज के कुल वोट का आंकड़ा देता है, जो कि 10,98,903 है.
मान लीजिए कि चार राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं. अब हर एक विधायक और सांसद इन उम्मीदवारों को रैंक करेगा प्राथमिकता के आधार पर. चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार के पास पहली प्राथमिकता के 50 फीसदी से ज्यादा वोट होने चाहिए.
अगर पहली प्राथमिकता के आधार पर कोई उम्मीदवार नहीं जीतता है तो प्रिफरेंशियल सिस्टम इस्तेमाल होता है.
सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और उसके वोट को अगली प्राथमिकता के आधार पर बांट दिया जाता है. ऐसा तब तक किया जाता है, जब तक किसी एक उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता.
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