advertisement
भारत में 70 साल बाद चीतों (Cheetah) की वापसी हो रही हैं. नामीबिया (Namibia) से 8 चीतों को विशेष विमान के जरिए देश में लाया जा चुका है. भारत में चीतों को विलुप्त (Cheetah Extinction) घोषित कर दिया गया था, जिसकी वापसी फिर से हो रही है. नामीबिया से मंगवाए गए इन चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे.
1940 के दशक में चीता 14 अन्य देशों जॉर्डन, इराक, इजराइल, मोरक्को, सीरिया, ओमान, ट्यूनीशिया, सऊदी अरब, जिबूती, घाना, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी विलुप्त हो गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, माना जाता है कि चीता 1947 में भारत से गायब हो गया था, जब कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने शिकार किया और भारत में अंतिम तीन एशियाई चीतों को गोली मार दी.
भारत में चीते सदियों से रहे हैं लेकिन 20वीं सदी में ये पूरी तरह खत्म हो गये थे. 1952 में भारत सरकार द्वारा चीता को आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया गया था.
चीतों को भारत वापस लाने का भारत का पहला प्रयास 1970 के दशक की शुरुआत में हुआ था. डॉ रंजीतसिंह को इंदिरा गांधी सरकार की ओर से ईरान के साथ बातचीत करने का काम सौंपा गया था. ईरान के शाह ने कहा था कि हम भारत को चीते देने के लिए तैयार हैं. लेकिन बदले में आपसे हमें शेर चाहिए.
चीता को वापस लाने की पेशकश पहली बार मनमोहन सरकार के दौरान, 2009 में भारतीय संरक्षणवादियों द्वारा चीता संरक्षण कोष (CCF) के समक्ष की गई थी, जिसका मुख्यालय नामीबिया में है.
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में भारत में फिर से लाने के लिए प्रोग्राम बनाने की हरी झंडी दी थी. जुलाई 2020 में, भारत और नामीबिया गणराज्य ने एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें नामीबिया सरकार के सहमति हुई. यह पहली बार है कि एक जंगली दक्षिणी अफ्रीकी चीता भारत में लाया जा रहा है.
शुक्रवार, 17 सितंबर को नमीबिया से लाए गए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ने की तैयारी है. बता दें कि भारत लाए गए इन चीतों में पांच मांदा और तीन नर चीते हैं.
चीता को वापस लाने के बाद भारत एकमात्र ऐसा देश बन गया है, जहां ‘बिग कैट’ प्रजाति के पांचों सदस्य- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता मौजूद होंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)