देश में 70 साल बाद चीतों (Cheetah) की वापसी हो रही हैं. नामीबिया (Namibia) से 8 चीतों को विशेष विमान के जरिए भारत लाया गया है. इन चीतों को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में रखा गया है. भारत में 'बिग कैट' प्रजातियों (Big Cat Species) के एशियाई शेर, रॉयल बंगाल टाइगर, इंडियन लेपर्ड, क्लाउडेड लेपर्ड और स्नो लेपर्ड पाए जाते हैं. अब यहां चीतों का भी बसेरा होगा.
एक तरफ देश में चीतों के पुनर्वास की कोशिशें हो रही है, तो दूसरी तरफ 'बिग कैट' प्रजाति के अन्य जीवों के हालात की भी चर्चा हो रही है. चलिए हम आपको बतातें हैं कि देश में शेर, बाघ, तेंदुए की क्या स्थिति है.
शेर (Lion)
सबसे पहले बात करते हैं जंगल के राजा शेर (Lion) की. एशियाई शेर दुनिया में कहीं और नहीं सिर्फ भारत के गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं. यह एशियाई शेर भारत में पाई जाने वाली पांच बड़ी बिल्लियों में से एक हैं. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट में शेरों को 'लुप्तप्राय' जानवरों के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
एक समय भले ही शेर पूरी दुनिया में खासकर एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में स्वतंत्र रूप से घूमते रहे हों, लेकिन आज ऐसा बिल्कुल नहीं है. हाल के सर्वेक्षण को देखें तो इनकी संख्या लगभग 30,000 से घटकर लगभग 20,000 हो गई है. दुनिया के कई देशों में इनकी संख्या तेजी से घटी है. लेकिन भारत में पिछले कुछ सालों में शेरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में शेरों की कुल संख्या 674 है, जो साल 2015 में 523 थी. पांच सालों में देश में शेरों की संख्या में 28.87 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
10 अगस्त को विश्व शेर दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने शेरों की संख्या में बढ़ोतरी पर खुशी जताते हुए शेरों के संरक्षण में जुटे लोगों को बधाई भी दी थी. उन्होंने ट्वीट किया, "विश्व शेर दिवस पर, मैं उन सभी की सराहना करता हूं जो राजसी शेरों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं. भारत हमेशा भव्य एशियाई शेर के लिए एक जीवंत घर रहेगा."
बाघ (Tiger)
'बिग कैट' प्रजाति में से एक बाघ (Tiger) भी भारत में पाए जाते हैं. बाघ लंबे समय से भारतीय पौराणिक कथाओं और लोककथाओं से जुड़ा रहा है. रॉयल बंगाल टाइगर की दुनियाभर में अपनी एक खास पहचान है. 2018-19 की बाघ जनगणना के अनुसार, भारत में 2967 बाघ हैं. जो कि वैश्विक आबादी का 75 फीसदी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19वीं सदी की शुरुआत में दुनियाभर में बाघों की आबादी 10,000 से ऊपर थी. 2018 में यह संख्या घटकर लगभग 4,000 रह गई है.
राज्यसभा में सरकार की ओर से दिए आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में कुल 127 बाघों की मौत हो गई. जो पिछले साल की तुलना में अधिक है. 2020 में कुल 106 बाघों की मौत हुई थी. वही 2019 में 96 बाघों की मौत हुई थी.
पिछले साल मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 42 मौतें हुईं, इसके बाद महाराष्ट्र में 27, कर्नाटक में 15 और उत्तर प्रदेश में 9 बाघों की मौतें हुईं.
बता दें कि भारत में 1970 से बाघों के शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद बाघों के संरक्षण के लिए साल 1973 में भारत सरकार की ओर से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई थी. तब से लेकर अबतक बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है.
तेंदुआ (Leopard)
शेर, बाघ की तुलना में देश में तेंदुओं की स्थिति सबसे बेहतर है. ‘भारत में 2018 में तेंदुओं की स्थिति’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में 12,852 तेंदुए हैं, जिनकी संख्या 2014 में करीब 8,000 थी. 4 सालों में तेंदुओं की संख्या में 60 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे अधिक 3,421 तेंदुए मध्य प्रदेश में पाए गए. कर्नाटक में इनकी संख्या 1,783 और महाराष्ट्र में 1,690 है. क्षेत्रवार वितरण के अनुसार मध्य भारत और पूर्वी घाटों में तेंदुओं की संख्या सर्वाधिक 8,071 है.
पश्चिमी घाट- जिसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और केरल के क्षेत्र शामिल हैं वहां 3,387 तेंदुए पाए गए. जबकि शिवालिक एवं गंगा के मैदानी इलाके जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के क्षेत्र आते हैं उनमें 1,253 तेंदुए पाए गए. पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्र में सिर्फ 141 तेंदुए पाए गए.
वहीं कर्नाटक के जंगलों में ब्लैक पैंथर भी पाए जाते हैं. हालांकि अभी इनकी संख्या बहुत कम है. कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में भी दुर्लभ काला तेंदुआ नजर आया था.
स्नो लेपर्ड (Snow Leopard)
स्नो लेपर्ड भारत की 5 'बड़ी बिल्लयों' में से एक है. दुनिया के 10 प्रतिशत स्नो लेपर्ड भारत में पाए जाते हैं. ये इन पांच राज्यों- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पाए जाते हैं, जो इसके वैश्विक आवास का केवल 5 प्रतिशत है.
इस तेंदुए को देखना बहुत दुर्लभ है. ये समुद्र तट से 2700 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई वाले हिमालय और ट्रांस हिमालय क्षेत्रों में पाए जाते हैं. कई सालों से अवैध शिकार से इनकी संख्या में आई कमी आई है. देश में इनके संरक्षण के लिए भी विशेष प्रोजेक्ट्स चलाए जा रहे हैं.
क्लाउडेड लेपर्ड (Clouded Leopard)
इसकी त्वचा पर बादल की तरह पैटर्न बने होने के कारण इसका नाम क्लाउडेड लेपर्ड (Clouded Leopard) रखा गया है. इसे IUCN की रेड लिस्ट में Vulnerable जीव के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. क्लाउडेड लेपर्ड उष्णकटिबंधीय जंगलों में लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर देखे जाते हैं. भारत में, बड़ी बिल्ली की इस मायावी प्रजाति को केवल सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा राज्यों में पहाड़ी वर्षा वनों में देखा जा सकता है. यह मेघालय का राजकीय पशु है.
भारत के मिजोरम में स्थित डंपा बाघ अभयारण्य (Dampa Tiger Reserve) को क्लाउडेड लेपर्ड के अध्ययन स्थल के रूप में चुना गया है. डंपा टाइगर रिजर्व में क्लाउडेड लेपर्ड की सबसे घनी आबादी पाई गई है.
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