advertisement
उत्तराखंड के चारों धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्नारीथ में तीर्थ पुरोहितों ने हड़ताल कर दी है. आज से शुरू हुए इस आंदोलन के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रुद्रप्रयाग के दौरे पर हैं.
रावत जब केदारनाथ धाम पहुंचे तो तीर्थ पुरोहितों ने उनका भारी विरोध किया. वहीं मंत्री धन सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को भी तीर्थ पुरोहितों ने घेरा.
तीर्थ पुरोहितों की ओर से कहा गया कि रावत के विरोध की तरह ही आगामी 5 नवंबर को केदारनाथ पहुंच रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध किया जाएगा और काले झंडे दिखाए जाएंगे.
चारों धाम में आज से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन की वजह है देवस्थानम बोर्ड. साल 2020 में 15 जून 2020 के गजट नोटिफिकेशन के बाद त्रिवेंद्र सरकार में देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आया था. जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के चारों धामों सहित 51 मंदिरों को लिया गया है. जिसके बाद इस बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने विरोध करना शुरू किया.
बता दें कि पहले भी जुलाई 2021 में आंदोलन हो चुका है. लेकिन तब सिंतबर में धन सिंह रावत के गंगोत्री पहुंचने पर यह आश्वासन दिया गया था कि बोर्ड को खत्म कर दिया जाएगा.
चारों धाम में चल रहे आंदोलन का असर दिखने लगा है. ग्राउंड पर मौजूद क्वींट हिंदी ने पाया कि मंदिर की दैनिक क्रियाएं पूरी तरह से प्रभावित है. लोग ना तो पूजा-अर्चना कर पा रहे हैं और ना ही दर्शन हो पा रहे हैं साथ ही वहां का बाजार भी बद है और व्यवस्था प्रभावित है.
तीर्थ पुरोहितों में से एक संतोष त्रिवेदी ने कहा कि,
क्वींट हिंदी से बात करते हुए तीर्थ पुरोहितों की ओर से यह चेतावनी दी गई है कि अगर आंदोलनकारियों कि बात नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में सरकार इससे भी बड़ा और उग्र आंदोलन देखेगी.
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद करने के बजाय सरकार अब तीर्थ पुरोहितों को भ्रमित कर रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)