Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस: दो डॉक्टरों ने कैसे बदल दिए आरोपी के ब्लड सैंपल? पुलिस का खुलासा

पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस: दो डॉक्टरों ने कैसे बदल दिए आरोपी के ब्लड सैंपल? पुलिस का खुलासा

Pune Porsche crash case: कैसे पता चला नाबालिग आरोपी ब्लड सैंपल बदला गया है?

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस</p></div>
i

पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस

(फोटो- पीटीआई)

advertisement

Pune Porsche crash case: पुणे के पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में बडे़ अपडेट्स सामने आ रहे हैं. इस मामले का मुख्य आरोपी 17 वर्षीय नाबालिग है, जिसपर आरोप है कि उसने शराब के नशे में अपने पिता की ₹2.5 करोड़ की पोर्शे इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार चलाते हुए दो लोगों को कुचलकर मार दिया. अब इस मामले में उस हॉस्पिटल पर एक्शन लिया गया है जहां आरोपी के पहले ब्लड सैंपल की जांच की गई थी. पुणे पुलिस ने ससून जनरल हॉस्पिटल के दो डॉक्टर और एक कर्मचारी को ब्लड सैंपल के हेरफेर के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है.

"आरोपी के ब्लड सैंपल डस्टबिन में फेंके, दूसरे का सैंपल भेजा"

पुणे पुलिस ने सोमवार, 27 मई को कहा कि सरकारी ससून जनरल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने आरोपी नाबालिग के ब्लड का सैंपल लिया और उसे डस्टबिन में फेंक दिया. इसके बाद किसी दूसरे व्यक्ति का ब्लड फॉरेंसिक लैब में भेज दिया.

पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा कि ससून हॉस्पिटल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तवरे और डॉ. श्रीहरि हरनोल को नाबालिग लड़के के ब्लड सैंपल को बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ-साथ हॉस्पिटल के एक और कर्मचारी को भी गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि पुणे पोर्श मामले में जांच से पता चला कि डॉ. हरनोल ने नाबालिग के ब्लड के सैंपल लिए और उन्हें हॉस्पिटल के डस्टबिन में फेंक दिया. फिर डॉ. तावरे से एक अन्य व्यक्ति के ब्लड का सैंपल लिया गया और उस पर नाबालिग का नाम लिखकर फॉरेंसिक लैब में भेज दिया गया.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि दोनों डॉक्टरों को सुबह गिरफ्तार कर लिया गया और IPC की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 467 (जालसाजी), 201 (सबूत नष्ट करना), 213 (अपराधी को सजा से बचाने के लिए गिफ्ट या कुछ और लेना) और धारा 214 (अपराधी को बचाने के लिए गिफ्ट की पेशकश करना) के तहत मामला दर्ज किया गया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

फिर कैसे पता चला ब्लड सैंपल बदला गया है?

नाबालिग के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) 19 मई की सुबह 8 बजे येरवडा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी. इसके बाद लड़के को मेडिकल जांच के लिए ससून हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां सुबह 11 बजे के आसपास उसके ब्लड के सैंपल लिए गए.

ब्लड सैंपल रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए पुलिस ने डीएनए सैंपल के लिए उसी दिन (19 मई) शाम को आरोपी का एक और ब्लड सैंपल लिया.

पत्रकारों से बात करते हुए, पुलिस आयुक्त ने कहा कि नाबालिग के दूसरे ब्लड सैंपल को एहतियात के तौर पर औंध के एक अन्य सरकारी हॉस्पिटल में भेजा गया था.

“दूसरा सैंपल लेने का उद्देश्य दोनों ब्लड रिपोर्टों में डीएनए का मिलान करना था. जांच में पता चला कि औंध हॉस्पिटल से मिले नाबालिग की ब्लड रिपोर्ट में डीएनए ससून अस्पताल की पहली ब्लड रिपोर्ट से मेल नहीं खाता. इस बीच, गिरफ्तारी के बाद नाबालिग के पिता के भी ब्लड सैंपल लिए गए. जांच में पुष्टि हुई कि ससून हॉस्पिटल में नाबालिग के ब्लड सैंपल बदले गए थे."
अमितेश कुमार, पुलिस आयुक्त

पुलिस आयुक्त ने यह भी कहा कि पुणे पोर्श एक्सीडेंट मामले के लगभग 20 घंटे बाद नाबालिग का दूसरा ब्लड सैंपल लिया गया था और इसी वजह से उसमें शराब की कोई मौजूदगी नहीं पाई गई.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT