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पंजाब के किसान (Punjab Farmer Protest) एक बार फिर दिल्ली की तरह धरने पर बैठ गए थे. बस फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार पंजाब के किसान राज्य की आम आदमी पार्टी की भगवंत मान (Bhagwant Mann) सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे थे और अड्डा बना था मोहाली-चंडीगढ़ बॉर्डर. किसानों ने पंजाब सरकार को चेतावीन दी थी कि अगर बुधवार तक सीएम भगवंत मान किसानों के साथ बातचीत की टेबल पर नहीं आते हैं तो किसान अनिश्चितकालीन धरने पर चले जाएंगे. लेकिन आम आदमी पार्टी की नई सरकार ने किसानों की मांगे मान ली हैं. जिसके बाद किसानों ने अपना प्रदर्शन वापस ले लिया है.
गेहूं की पैदावार पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग किसान कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस बार भीषण गर्मी की वजह से गेहूं की पैदावार कम हुई है. क्योंकि पानी की कमी से गेहूं का दाना सिकुड़ गया जिससे पैदावार घट गई और किसानों को नुकसान हुआ है. लिहाजा सरकार इसकी भरपाई के लिए गेहूं पर 500 रुपये क्विंटल बोनस दे. चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि अगर उनकी सरकार आई तो खराब फसलों का मुआवजा सीधा किसानों के खातों में डाल दिया जाएगा.
पंजाब सरकार ने पिछले महीने किसानों के 23 संगठनों के साथ मीटिंग की थी, जिसमें खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल थे. उस मीटिंग में गेहूं पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस पर सहमति बनी थी लेकिन अब किसान उसी मांग को लेकर सड़कों पर हैं. चुनाव के दौरान भी अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि अगर किसी भी किसान की फसल खराब होती है और उनकी सरकार बनती है तो लागत के हिसाब से उचित मुआवजा दिया जायेगा.
पंजाब के किसानों की मांग है कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई करने की अनुमति दे जबकि पंजाब सरकार चाहती है कि किसान 18 जून के बाद ही धान की रोपाई करें. इसके पीछे पंजाब सरकार का तर्क है कि वो घटते जलस्तर और पानी बचाने के लिए कोई समझौता नहीं करेगी. भगवंत मान ने कहा कि किसानों का ये प्रदर्शन अनुचित है उन्हें भी घटते जलस्तर को रोकने के लिए सरकार के साथ आना चाहिए.
पंजाब के किसान सरकार से मूंग, मक्का और बासमती की एमएसपी पर खरीद के लिए अधिसूचना जारी करने की मांग कर रहे हैं. ताकि फसल को MSP से कम रेट पर कोई खरीद ना सके. एमएसपी को लेकर ही केंद्र सरकार और किसान भी आमने-सामने रहे थे. उस वक्त किसान एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे थे. और बाद में उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने वादा करके एमएसपी पर कानून की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
पंजाब के किसानों की मांग है कि बासमती पर पंजाब सरकरा एमएसपी बढ़ाकर 4500 रुपये क्विंटल कर दे. 5 मई को लुधियाना में सीएम भगवंत मान ने वादा किया था कि उनकी सरकार बासमती पर एमएसपी देगी. लेकिन अभी तक इस पर कोई ऐलान नहीं किया गया. दरअसल पंजाब में बेस्ट क्वालिटी की बासमती उगाई जाती है जो विदेशों में एक्सपोर्ट होती है. हालांकि सरकार उस पर एमएसपी नहीं देती प्राइवेट प्लेयर अलग-अलग दामों पर किसानों से खरीद कर ले जाते हैं. इसी को रोकने के लिए किसान एमएसपी की मांग कर रहे हैं. 2020 में PUSA 1509 बासमती पंजाब में करीब 1800 रुपये क्विंटल बिकी. और 1121 बासमती करीब 2600 रुपये क्विंटल बिकी थी.
लुधियाना में ही सीएम ने मूंग पर भी एमएसपी देने का वादा किया था जिस पर अब किसान चाहते थे कि सरकार अधिसूचना जारी कर दे.
इसके अलावा भी किसानों की कई मांगे हैं जैसे-
पंचायती जमीनों से किसानों को ना हटाया जाये
सहकारी बैंकों और अन्य संस्थाओं द्वारा कर्जे पर वारंट और कुर्की ना की जाये
किसानों के दो लाख रुपये तक के लोन माफ किये जायें
गेहूं के निर्यात से प्रतिबंध हटाया जाये
23 किसान संगठन पंजाब से निकलकर चंडीगढ़ में दिल्ली जैसा प्रदर्शन करना चाहते थे. लेकिन दिल्ली की ही तर उन्हें चंडीगढ़ में नहीं घुसने दिया गया. तो किसान मोहाली-चंडीगढ़ बॉर्डर पर ही धरने पर बैठ गए. पंजाब के किसान इस बार भी अपने साथ राशन, बिस्तर, पंखे, कूलर, बर्तन और रसोई गैस सिलेंडर तक लेकर धरने पर बैठ गए. जिससे लगता है कि किसान लंबी तैयारी के साथ आये थे.
मान सरकार ने किसानों को अधिकारियों के जरिये मंगलवार को मनाने की कोशिश की. अधिकारी धरना स्थल पर किसानों से मांग पत्र लेने भी पहुंचे लेकिन किसान नहीं माने. दरअसल किसान सरकार के किसी मंत्री या मुख्यमंत्री के साथ बैठक पर अड़े थे. किसानों ने कहा कि वो सरकार से टकराव नहीं चाहते लेकिन सरकार ये ना सोचे कि किसान बैरिकेड नहीं तोड़ सकते.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत ने कहा कि, विरोध करना उनका अधिकार है लेकिन ‘मुर्दाबाद-मुर्दाबाद’ के नारे अच्छे नहीं लगते. उन्होंने आगे कहा कि,
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके मान सरकार पर निशाना साधा और कहा कि गेहूं पर बोनस के ऐलान का स्वागत करते हैं लेकिन कैबिनेट से उसे नोटिफाई करा दीजिए ताकि किसानों को यकीन हो सके. उनकी मांगें जायज हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के किसानों से वादा किया था कि उनकी सरकार आने के बाद कोई किसान आत्महत्या नहीं करेगा. लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि पंजाब में आप की सरकार बनने के 25 दिन के भीतर 14 किसानों ने आत्महत्या की.
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