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पंजाब के 32 किसान संगठन 8 मई को करेंगे लॉकडाउन का विरोध

किसानों ने कहा, अब दिल्ली में आंदोलन तेज करने के लिए आएंगे लोग

आईएएनएस
भारत
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दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारी, 1 दिसंबर 2020 की तस्वीर
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दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारी, 1 दिसंबर 2020 की तस्वीर
(फोटो: PTI)

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कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आन्दोलन के 160वें दिन सयुंक्त किसान मोर्चा के प्रमुख अंग पंजाब की 32 किसान संगठनों की सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई. जिसमें फैसला लिया गया है कि 8 मई को पंजाब भर में किसान, मजदूर, दुकानदार बड़ी संख्या में सड़कों पर आकर लॉकडाउन का विरोध करेंगे.

32 किसान संगठनों ने लिया फैसला

इस बैठक में सभी संगठनों के राज्य स्तर के मुख्य नेता मौजूद रहे. बैठक की अध्यक्षता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने की. बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि, "केंद्र सरकार कोरोना के खिलाफ लड़ने में असफल रही है. सरकार नागरिको को स्वास्थ्य सुविधाएं व मूलभूत सुविधा जैसे ऑक्सीजन, बेड, दवाइयां आदि प्रदान करने में फेल साबित हुई हैं. हालांकि बीजेपी किसानों के धरनों को कोरोना फैलाने का बड़ा कारण बता रही है परंतु यहां किसान जरूरी सावधानियां बरत रहे हैं."

पंजाब की 32 किसान यूनियनों का यह फैसला है कि 8 मई को पंजाब भर में किसान, मजदूर, दुकानदार बड़ी संख्या में सड़को पर आकर लॉकडाउन का विरोध करेंगे. किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने बताया कि, आने वाली 10 मई व 12 मई को दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब से किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली बोर्डर्स के लिए रवाना होंगे व मोचरे को मजबूत किया जाएगा.
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दिल्ली की तरफ रवाना होंगे किसान

बलदेव सिंह निहालग ने कहा कि, "किसानों के धरने हमेशा मजबूत रहेंगे. कटाई का सीजन खत्म हो गया है व अब अलग अलग जत्थों में किसान दिल्ली की तरफ रवाना होंगे."

किसान नेताओ के अनुसार, कोरोना की आड़ में सरकार कॉरपोरेट वर्ग को फायदा कराना चाहती है. किसानों-मजदूरो के शोषण सम्बधी फैसले लॉकडाउन में ही लिए गए. बोघ सिंह मानसा ने कहा कि राज्यो के चुनावों में किसानों ने भाजपा का बड़े स्तर पर राजनैतिक नुकसान किया है.

किसान नेताओं ने कहा कि, "सरकार को जान माल का रखवाला कहा जाता है परंतु माल तो छोड़ो सरकार लोगों की जान की रखवाली भी नहीं कर रही. बलविंदर सिंह राजू के अनुसार सरकार कोरोना की आड़ में शोषणकारी फैसले लेती है व इसी दिशा में किसानों की जमीनें छीनना चाहती है."

किसान संगठनों एक बार फिर ये स्प्ष्ट कर दिया है कि किसान सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है व पूरी तरह से आशावादी है.

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