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नौ साल से इंजीनियरिंग कर रहे स्टूडेंट को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सलाह दी है कि देश पर दया करे और इंजीनियरिंग छोड़ दे.
ये स्टूडेंट कुरूक्षेत्र के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी साल 2009 से बीटेक कर रहा है, लेकिन 9 साल बाद भी उसकी चार साल की डिग्री पूरी नहीं हो पाई है. इस दौरान साल दर साल उसके 17 पेपर रुकते चले गए.
याचिका दाखिल करने वाला छात्र खुद ही अपनी दलीलें पेश करने के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट में पेश हुआ. याचिकाकर्ता छात्र ने बताया कि साल 2009 में उसे एनआईटी कुरुक्षेत्र में एडमिशन मिला था. इसके बाद चार साल की डिग्री के दौरान उसकी कंपार्टमेंट रह गई थी, जिसे क्लीयर करने के लिए उसे 4 साल की मोहलत दी गई. इस दौरान निजी कारणों से वह कंपार्टमेंट क्लीयर नहीं कर सका.
छात्र ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि उसे एक मौका दिया जाए तो वह सभी कंपार्टमेंट क्लियर कर लेगा.
हरियाणा पंजाब हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने छात्र को जमकर फटकारा. चीफ जस्टिस ने कहा कि देश के संसाधनों को नुकसान पहुंचाने वालों से कोर्ट को कोई सहानुभूति नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि क्या उसे अंदाजा भी है कि जिस एक सीट को उसने चार साल तक बर्बाद किए. उस पर सरकार का कितना पैसा खर्च हुआ होगा. यह पैसा उसके द्वारा दी गई फीस से कई गुना ज्यादा है, जो आम लोगों के खून पसीने की कमाई से किया गया है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता छात्र से सवाल किया कि जब आप 9 साल में इंजीनिरिंग की डिग्री पूरी नहीं कर पाए तो एक मौके में 17 कंपार्टमेंट कैसे क्लीयर करोगे? कोर्ट ने छात्र को सलाह दी कि कोई दूसरा प्रोफेशन चुन ले चाहे तो वकालत कर ले लेकिन इंजीनियरिंग न करे.
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