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न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की 2 दिन की प्लेनरी मीटिंग में भारत की मेंबरशिप को लेकर कोई नतीजा नहीं निकला. इस मीटिंग में चीन ने साफ तौर पर कहा कि नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर साइन करने वाले देशों को ही एनएसजी में शामिल करें. चीन का करीब 10 देशों ने साथ दिया. इनके आगे भारत की दावेदारी कमजोर पड़ गई. जबकि भारत का यूएस, यूके, फ्रांस और बाकी देशों ने मजबूती से सपोर्ट किया. यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट.
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दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, बुजुर्गों की एकतरफा वोटिंग के चलते ब्रिटेन को 28 देशों के यूरोपियन यूनियन से अलग होना पड़ा. कुल आबादी में बुजुर्ग 18% यानी 1.12 करोड़ हैं. वे यूके की यंग जनरेशन पर भारी पड़े. बता दें, रेफरेंडम में हिस्सा लेने वाले ब्रिटेन के 18 से 29 साल के लोग EU के साथ रहना चाहते थे. शुक्रवार को यूके के यूरोपियन यूनियन (EU) से अलग होने को लेकर कराए गए ऐतिहासिक रेफरेंडम के नतीजे आए थे.
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अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हम रेफरेंडम कराएंगे. यह कवायद यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए यूके में हुए रेफरेंडम की तरह होगी. बता दें कि दिल्ली सरकार ने बीती 18 मई को इससे जुड़ा ड्राफ्ट बिल भी दिल्ली विधानसभा में पेश किया गया था.
केंद्र ने शुक्रवार को मंजूरी के लिए भेजे गए दिल्ली सरकार के 14 बिलों को लौटा दिया. होम मिनिस्ट्री ने दलील दी है कि केजरीवाल सरकार ने बिल भेजे जाने से पहले प्रॉसिजर को फॉलो नहीं किया. इन 14 बिलों में लोकपाल बिल भी शामिल है.
मिनिस्ट्री का कहना है कि दिल्ली सरकार ने एलजी नजीब जंग से इस बारे में कंसल्ट नहीं किया. उधर, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की नीयत ठीक नहीं है.
अनिल कुंबले को इंडियन क्रिकेट टीम का हेड कोच बनाए जाने के फैसले से पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री नाराज हैं. उनका कहना है कि बीसीसीआई में सौरव गांगुली पावरफुल होते जा रहे हैं. वे अनिल कुंबले को टीम इंडिया का हेड कोच बनाने के लिए सचिन तेंडुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को मनाने में कामयाब रहे. सौरव की वजह से ही शरद पवार लॉबी भी चुप्पी साधे रही. शास्त्री ने कहा कि कुंबले शॉर्टलिस्ट किए गए 21 लोगों में शामिल नहीं थे. उसके बाद भी गांगुली के दबाव में उन्हें चुना गया.
हेड कोच पद के लिए रवि शास्त्री को फ्रंटरनर समझा जा रहा था. हालांकि, उन्होंने नए कोच को बेस्ट विशेस दी हैं.
इफ्तार की दावत के बहाने वोटबैंक बनाने और सियासी समीकरण तैयार करने का खेल भारत की राजनीति के लिए नया नहीं है. इस बार भी इफ्तार पार्टी के बहाने सियासी दल चुनावी हिसाब-किताब दुरुस्त करने की ताक में हैं.
खास बात यह है कि इस बार इफ्तार पार्टी का खेल 360 डिग्री टर्न लेता दिख रहा है. एक ओर कांग्रेस ऐसी दावतों से दूरी बना रही है, तो दूसरी ओर आरएसएस ‘इंटरनेशनल इवेंट’ के जरिए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का नारा बुलंद करने की कोशिश कर रहा है.
यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट.
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