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भारत को ब्रेग्जिट से रहना है बेअसर, तो रखना होगा इन बातों का ख्याल

भारत ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक है. इस हिसाब से भारतीय बाजार बेअसर रह जाए, यह संभव नहीं

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इन्हें संभालना होगा, ताकि इंडियन इकोनॉमी पर पड़े कम असर...

  • ब्रिटेन में 800 इंडियन कंपनियां हैं.
  • यूके के ईयू से बाहर होने पर इनके कारोबार पर असर पड़ेगा, क्योंकि इसमें ज्यादातर यहां रहकर ओपन यूरोपियन मार्केट में बिजनेस करती हैं.
  • ये ब्रिटेन में 1.1 लाख लोगों को इम्प्लॉइमेंट देती हैं. इंडिया यूके का तीसरा बड़ा फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टर है.
  • ब्रेग्जिट यानी ईयू से यूके के अलग हो जाने पर भारतीय कंपनियों के कैपिटल इन्वेस्टमेंट पर असर पड़ेगा.
  • कंपनियां यहां से अपना कैपिटल निकाल सकती हैं.
  • यूके में प्रोफेशनल्स की कमी हो सकती है. ईयू की मेंबर कंट्रीज के बॉर्डर पर किसी तरह का कोई टैक्स न लगने की वजह से पहले से मौजूद भारतीय कंपनियां वहां ओपन बिजनेस कर रही हैं.
  • अगर ब्रिटेन ईयू से अलग हुआ, तो यूके के बिना किसी रोकटोक के पूरे यूरोप में ऑपरेट करने पर पाबंदियां लग जाएंगी. इससे भारत से होने वाले बिजनेस पर खतरा है.
  • यूरो-पाउंड में गिरावट थमे हुए एक्सपोर्ट बिजनेस में भारत को झटका दे सकता है.
  • यूके में अपने प्लान्ट्स के जरिए यूरोप के मार्केट में बिजनेस मुश्किल होने पर टाटा की कंपनी जगुआर लैंड रोवर का एनुअल प्रॉफिट एक दशक में 10000 करोड़ तक गिर सकता है.

आर्थिक मामलों के जानकार बताते हैं कि भारतीय सरकार के लिए हालिया स्थिति में खुद को संभाले रखने के लिए इन पॉइंट्स पर गौर करना होगा.

ब्रिटेन के मतदाताओं ने गुरुवार को हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला किया. इसके तुरंत बाद इस घटनाक्रम पर दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं, जिनमें ज्यादातर देशों ने ब्रेग्जिट के आर्थिक पहलू को लेकर चिंता व्यक्त की. इस बीच भारत सरकार ने दावा ठोकते हुए कहा कि वे हर किस्म की समस्या से निपटने को तैयार हैं.

वहीं जनमत संग्रह का नतीजा सामने आने के बाद जापान के शेयर व विदेशी मुद्रा बाजार बेहद प्रभावित हुए. इसी वजह से जापान के विदेश मंत्री व उप प्रधानमंत्री तारो आसो ने खुलकर कहा कि ब्रेग्जिट से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर खतरों के मद्देनजर जापान बेहद चिंतित है.

फैसला आने के बाद यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो में भी डॉलर के मुकाबले 3.2 फीसदी कमजोरी आई. ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड का मूल्य 11 फीसदी गिरावट के साथ तीन दशक से अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गया.

विश्व बैंक ने ब्रिटेन में जनमत संग्रह होने से दो पहले ही यह कह दिया था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ब्रेग्जिट का सीधा असर जरूर दिखेगा, क्योंकि ब्रिटेन का यूरोपीय संघ की जीडीपी में 15 परसेंट का योगदान है. लंबे वक्त तक न ही सही, लेकिन कुछ वक्त के लिए यह असर जरूर दिखेगा.

लेकिन इस सब के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के रहनुमाई करने वालों ने माना कि भारत पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. थोड़ा बहुत जो असर होगा, उसे झेलने के लिए भारतीय बाजार पूरी तरह तैयार है. पढ़िए किसने, क्या कहा...

यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने का निर्णय चौंकाने वाला है, लेकिन आरबीआई आवश्यकता पड़ने पर कदम उठाने को लेकर तैयार है.
रघुराम राजन, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
ब्रेक्सिट पूरी दुनिया के लिए अहम है और इसका यूरोपियन यूनियन पर असर पड़ेगा. लेकिन भारतीय इकोनॉमी की स्थिति मजबूत है, हमारी पॉलिसी दुरुस्त और सिस्टम मजबूत है. लिहाजा भारत पर निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और निवेश के लिहाज से भारत सबसे आकर्षक देश है.
जयंत सिन्हा, वित्त राज्य मंत्री
ब्रेग्जिट से निपटने के लिए भारत तैयार है.
शक्तिकांत दास, आर्थिक मामलों के सचिव
ब्रेक्सिट के पक्ष में फैसला आने के बाद बाजार में कुछ उतार-चढ़ाव तो जरूर आएगा, लेकिन इससे भारत को कुछ लाभ भी मिलेगा.
अरुंधति भट्टाचार्य, अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)

ब्रेग्जिट को लेकर हालांकि एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया की राय एकदम अलग रही. उन्होंने कहा कि मध्यम से लंबी अवधि में ब्रिटेन और यूरोपीय बाजार में यदि अनिश्चितता पैदा होगी, तो पूंजी का प्रवाह भारतीय बाजार की तरफ हो सकता है. वहीं भारत एक प्रमुख उभरते बाजार की भूमिका में है. ऐसे में बड़े स्तर पर विदेशी निवेशक भारत से अपनी पूंजी निकाल भी सकते हैं.

भारत में ब्रेग्जिट को लेकर भारी उथल-पुथल देखा जा सकता है. ऐसे में केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के पास ब्रेग्जिट के बाद पैदा होने वाले हालात से निपटने का खास प्लान होना जरूरी है.
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम)

गौरतलब है कि भारत ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक है. इस हिसाब से भारतीय बाजार पर कोई असर न पड़े, ऐसा संभव नहीं है.

इसी वजह से जनमत संग्रह का रिजल्ट आते ही सोना 1,215 रुपये की तेजी के साथ 26 महीने के उच्चस्तर 30,885 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.

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