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भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील (Rafale Deal) की जांच जज को सौंपे जाने के बाद भारत में विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर सरकार से सवाल किया है. लगातार विवादों में रहने वाली इस डील की जांच 'फ्रेंच नेशनल फाइनेंशियल प्रोसेक्यूटर्स ऑफिस (PNF)' ने एक जज को सौंप दी है. इसके बाद से लगातार इस मामले पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. देश के पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने कुछ तारीखों का जिक्र कर पूछा है कि पीएम बताएं इन डेट्स पर क्या हुआ था.
चिदंबरम ने राफेल विमान सौदे के दौरान हुए खुलासों की तारीख ट्वीट करते हुए पूछा कि क्या पीएम, या रक्षामंत्री इस बात की जानकारी दे सकते हैं कि इन तारीखों पर क्या हुआ? चिदंबरम ने लिखा, "अगर कोई रहस्य नहीं है, तो एक बैठक में पूरी कहानी क्यों नहीं बताते? एक-एक करके 'घटनाएं' और 'तथ्य' अलमारी से बाहर क्यों आ जाते हैं?"
stratpost.com के मुताबिक, 25 मार्च 2015 को दसां एविएशन के चेयरमैन एरिक ट्रैपियर ने कहा था कि 126 राफेल खरीदने की डील 95 फीसदी पूरी हो चुकी है. इसके ठीक एक दिन बाद, 26 मार्च को दसां और रिलायंस के बीच MoU साइन हुआ.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 अप्रैल 2015 को तत्काली विदेश सचिव ने कहा था कि दसां, रक्षा मंत्रालय और HAL के बीच चर्चा जारी है. 10 अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने 36 राफेल विमान खरीदने का ऐलान किया था.
26 जनवरी 2016 को भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल विमान खरीदने को लेकर MoU साइन हुआ था. नवंबर 2016 में सरकार ने संसद में राफेल की कीमत की जानकारी दी थी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक पोल में लोगों से पूछा, "JPC जांच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं है?" इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था, "चोर की दाढ़ी..."
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी कई मुद्दों को उठाते हुए इस मामले में JPC जांच की मांग की. सुरजेवाला ने कहा कि "भ्रष्टाचार, देशद्रोह, सरकारी खजाने को नुकसान से जुड़े राफेल घोटाले का घिनौना पदार्फाश आखिरकार उजागर हो गया है." उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी देश को जवाब देंगे?
CPI(M) नेता सीताराम येचुरी ने भी पार्टी का बयान जारी किया, जिसमें पार्टी ने इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री के रोल की जांच के लिए ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) बनाने की मांग की.
AAP सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा, "ये अजीब बात है राफेल रक्षा सौदे में दलाली भारत सरकार ने खाई. क्लीन चिट देने वाला उच्च सदन में पहुंच गया. फ्रांस की सरकार तो जांच करा रही है. मोदी सरकार सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल चुकी है. भाजपाई कह रहे हैं “दोस्त हो तो गोगई जैसा."
2016 में हुई इस करोड़ों यूरो की डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. इस डील के तहत राफेल विमान भारत को बेचे गए थे. इस डील में कमीशन के तौर पर लाखों यूरो की रिश्वतखोरी का खुलासा मीडियापार्ट नाम की वेबसाइट ने इस साल अप्रैल में किया था. मीडियापार्ट ने दावा किया था कि इस समझौते में "लाखों यूरो का छुपा हुआ कमीशन" दिया गया था, जिससे दसां कंपनी को डील मिलने में सहूलियत हुई थी. इसमें से एक बड़ी रकम भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए इस्तेमाल की गई थी.
इन रिपोर्टों के बाद वित्तीय अपराधों में विशेषज्ञता रखने वाले फ्रांस के शेरपा NGO ने जांच की मांग की थी. NGO ने भ्रष्टाचार और 'प्रभाव का इस्तेमाल कर चीजों को तोड़ने-मरोड़ने' समेत दूसरे आरोप लगाते हुए आधिकारिक मामला दर्ज करवाया था. इसी के आधार पर अब मामले की जांच एक जज को सौंपी गई है.
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