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राफेल डील को लेकर छिड़े विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से राफेल फाइटर जेट की खरीद प्रक्रिया की पूरी जानकारी मांगी है. कोर्ट ने सरकार से सीलबंद लिफाफे में उस फैसले की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देने को कहा है, जिसके बाद राफेल जेट की खरीद को लेकर फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से डील की गई. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उसे राफेल की कीमत और डील के तकनीकी विवरणों से जुड़ी जानकारी नहीं चाहिए.
कोर्ट ने यह भी कहा कि वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को ध्यान में नहीं रख रहा है. राफेल डील को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर अब अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.
केंद्र सरकार ने राफेल पर दाखिल जनहित याचिकाओं का विरोध किया. केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपील करते हुए कहा कि राफेल डील को लेकर याचिकाएं राजनीतिक लाभ लेने के लिए दाखिल की गईं हैं, इसलिए ऐसी याचिकाओं को खारिज कर देना चाहिए.
हालांकि, कोर्ट ने केंद्र की अपील को ठुकरा दिया. कोर्ट ने केंद्र सरकार को डील की प्रक्रिया को लेकर पूरी जानकारी देने की अपील की है.
राफेल से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा है. सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल जेट की उपयोगिता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हम सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं, हम केवल फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता से संतुष्ट होना चाहते हैं.'
कोर्ट ने साफ किया कि उसे कीमत और डील के तकनीकी विवरणों से जुड़ी जानकारी नहीं चाहिए.
राफेल डील को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को निशाना बनाता रहा है. विपक्षी दल कांग्रेस ने मोदी सरकार पर राफेल डील में रिलायंस को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने और इस डील में करोड़ों के हेरफेर का आरोप लगाया है.
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