Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ईडी केस: राघव बहल का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेटर  

ईडी केस: राघव बहल का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेटर  

ईडी ने राघव बहल के खिलाफ PMLA एक्ट के तहत ECIR दर्ज की है

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
राघव बहल, क्विंट के को-फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ
i
राघव बहल, क्विंट के को-फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ
(फोटो: क्विंट)

advertisement

वित्त मंत्री को लेटर

डिस्क्लेमर: ये उस लेटर की कॉपी है जिसे राघव बहल, क्विंट के को-फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ, ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा है. बहल ने ये लेटर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के PMLA के तहत ECIR, जो FIR के बराबर होती है, दर्ज करने के बाद लिखा . लंदन में एक प्रॉपर्टी की खरीद में 2.73 लाख ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की रकम का कथित तौर पर खुलासा न करने को लेकर इनकम टैक्स ने अभियोग की शिकायत दर्ज की थी, जिस पर ईडी ने ECIR दर्ज की है.

विषय: लंदन में एक प्रॉपर्टी की खरीद में 2.73 लाख ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की रकम का कथित तौर पर खुलासा न करने को लेकर इनकम टैक्स ने अभियोग की शिकायत दर्ज की थी, जिस पर ईडी ने PMLA के तहत ECIR, जो FIR के बराबर होती है, दर्ज की है. इसके लिए सफाई और सभी जरूरी सबूत आयकर विभाग को दिए गए हैं कि 2.73 लाख ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की रकम मेरी पत्नी रितु कपूर की इनकम से दी गई थी, जिस पर टैक्स जमा किया गया था और जिसका खुलासा इनकम टैक्स रिटर्न में भी है.

डियर निर्मला जी,

मुझे मजबूर होकर ये लिखना पड़ रहा है कि मैं एक ईमानदार और कानून का पालन करने वाला व्यक्ति हूं, जिसे ऐसा लग रहा है कि सभी टैक्स ईमानदारी से जमा करने के बावजूद उसे बेवजह परेशान किया जा रहा है. मैं निजी या बिजनेस से संबंधी किसी भी कर्ज का भुगतान करने में भी कभी नहीं चूका.

मगर, मुझे लग रहा है जैसे फ्रांज काफ्का का मशहूर उपन्यास 'द ट्रायल' मेरी असल जिंदगी में चल रहा है.

मेरा अधिकृत प्रतिनिधि 13 मई 2019 को लंदन में 2.73 लाख ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की प्रॉपर्टी खरीदने का पूरा ब्योरा दे चुका है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दावा किया कि मैंने इस रकम का खुलासा नहीं किया था, जिसके बाद मैंने इस मसले पर सफाई दी. लेकिन आयकर विभाग ने ये मान लिया कि ये पैसा ब्लैक मनी है और इसका पता उन 2 कारण-बताओ नोटिस से लगता है जो मुझे ईमेल से 1 मई 2019 को भेजे गए.

इन नोटिस का जवाब देने के लिए मुझे 2 मई 2019 की दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया गया था. संबंधित ऑफिसर से ईमेल पर बात करके, उनके 5:18 pm पर दिए गए निर्देशानुसार मैंने एक छोटा और तथ्यपूर्ण जवाब 2 मई 2019 की रात 9:30 भेज दिया था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मगर, ऐसा लगता है कि मेरे जवाब को देखा भी नहीं गया और 3 मई 2019 को मेरठ के एक कोर्ट में मेरे खिलाफ 2 शिकायत दर्ज करा दी गईं (जो नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का साफ उल्लंघन है). इसके बारे में मुझे तब पता चला जब एक दूसरे मीडिया हाउस ने मुझे ईमेल पर सवाल भेजे.

ब्लैक मनी एक्ट 2015 के सेक्शन 50 और 51 के तहत दर्ज कराई गई इन 2 शिकायतों से संबंधी कोई भी समन मुझे अभी तक नहीं मिला है. 6 जून 2019 को होने वाली पहली सुनवाई की भी कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई. मैं समझता हूं कि आयकर विभाग भी मेरठ कोर्ट के सामने पेश नहीं हुआ होगा.

मैंने और मेरी पत्नी ने टैक्स रिटर्न में अपनी सारी संपत्ति का पूरा ब्योरा दिया है. मैं पहले ही इन कारण-बताओ नोटिस को इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट पेटिशन से चैलेंज कर चुका हूं. कोर्ट ये मामला आयकर विभाग के जवाब देने के बाद 25 जून 2019 को सुनेगा.

मीडिया हाउस के सवालों से ये लगता है कि 3 जून 2019 को दर्ज की गई ECIR इन्हीं नोटिस से संबंधित है.

मीडिया हाउस ने पहले खबर की थी कि ईडी आयकर विभाग की अभियोग शिकायत की कॉपी हासिल करके PMLA के तहत केस दर्ज चाहती थी. मीडिया हाउस के सोर्स साफ तौर से संबंधित डिपार्टमेंट में ही हैं, तो मेरे पास कोई वजह नहीं है कि मैं इन्हें गलत मानूं.

इस सूरत में कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं. जब तक ईडी ने इन अभियोग शिकायतों की कॉपी हासिल की, तब तक आयकर विभाग समझ गया था कि ये शिकायतें तथ्यों के आधार पर गलत हैं. कम से कम, मैंने उन्हें सभी जरूरी तथ्य और सबूत दे दिए थे, जो 2.73 लाख ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की रकम से जुड़े आरोपों को गलत साबित करते हैं. मैंने आपके विचार और अध्ययन के लिए वो सभी कागजात इस लेटर के साथ जोड़ दिए हैं.

तो क्या ये आयकर विभाग की जिम्मेदारी नहीं थी कि ईडी को कंप्लेंट कॉपी देते समय ये कागजात भी देते, जिससे उन्हें पता लगता कि ये आरोप बेबुनियाद है? क्या ईडी को जरूरी जानकारी मुहैया नहीं की जानी चाहिए थी जिससे भारत के एक नागरिक की इज्जत, स्वतंत्रता और मूल अधिकारों का हनन होने से बच जाता? क्या कॉग्निजेबल प्रावधानों में केस दर्ज करने की ताकत को अथॉरिटी को यूं ही इस्तेमाल करना चाहिए जबकि कोर्ट कई बार सही तरीके से कार्रवाई करने के निर्देश दे चुका है?

मैं ये लेटर आपको सिर्फ अपने केस में हस्तक्षेप करने के लिए नहीं लिख रहा हूं. मैं चाहता हूं कि काला धन और मनी लॉन्डरिंग करने वालों पर शिकंजा कसने की कोशिशों के बीच निर्दोषों को परेशान न किया जाए. इस तरह की कार्रवाई दोषियों तक पहुंचने में रुकावट पैदा करती है दो इन कानूनों के बुनियादी मकसद के खिलाफ है और उससे कोर्ट का कीमती वक्त जाया होता है.

मैं लेटर आपको इसलिए भेज रहा हूं क्योंकि आप इन मुद्दों को लेकर संवेदनशील, चौकन्नी और सक्रिय रहती हैं. मैं एक निष्पक्ष, सकारात्मक और जल्द कार्रवाई की उम्मीद कर रहा हूं.

धन्यवाद

राघव बहल

(इस लेटर की एक कॉपी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के चेयरमैन प्रमोद चंद्रा मोदी, प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा को भी भेजी गई है. राघव बहल ने BTVi की स्टोरी के बाद एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया था. इस स्टोरी में बताया गया था कि ईडी ने कोर्ट में बहल के खिलाफ जांच करने की बात कही थी.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT