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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ससंद सदस्यता शुक्रवार 24 मार्च को खत्म कर दी गयी. लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी एक पत्र में कहा गया, "केरल की वायनाड सीट से सांसद राहुल गांधी की संसद सदस्यता 23 मार्च (जिस दिन दोषी करार दिये गये) 2023 से रद्द की जाती है." सचिवालय की तरफ से जारी पत्र में संविधान के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के आर्टिकल 102 (1) (e) के सेक्शन 8 का हवाला दिया गया है.
अब सवाल है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की संसद सदस्यता तो चली गयी लेकिन उनके पास अब क्या विकल्प है? क्या राहुल 2024 का चुनाव लड़ पायेंगे? ये सवाल हैं जिनके उत्तर अब हर कोई जानना चाहता है. आइये इसके बार में आपको बताते हैं.
हालांकि, फैसला आने के बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हैरानी जताई और कहा कि ये लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
शशि थरूर ने ट्वीट कर लिखा, "मैं स्तब्ध हूं कि अपील प्रक्रिया चल रही है. कोर्ट का फैसला आये अभी 24 घंटे भी नहीं बीते लेकिन इतनी तेजी से कार्रवाई की गयी. यह ओझल राजनीति है और हमारे लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है."
लोक प्रहरी बनाम भारत निर्वाचन आयोग (2018) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक: अपील के लंबित रहने के दौरान दोषसिद्धि पर रोक लगने के बाद, दोषसिद्धि के नतीजे में जो अयोग्यता होती है, प्रभावी नहीं हो सकती है या बनी रह सकती है.
वकील पारस नाथ सिंह ने "द क्विंट" से बात करते हुए कहा, "एक बार हाईकोर्ट द्वारा राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के बाद अयोग्यता लागू नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी को वही सीट वापस मिलेगी या नहीं क्योंकि उन्हें स्पीकर की अयोग्यता अधिसूचना को अलग से चुनौती देनी होगी.
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग "द क्विंट" से बात करते हुए कहा,"अब जब राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया है, तो वह आगामी 2024 के आम चुनाव तब तक नहीं लड़ पाएंगे, जब तक कि उनकी अयोग्यता की तरह, अगर एक अपीलीय अदालत उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाती है, तो वह चुनाव भी लड़ सकेंगे.
नंदराजोग ने कहा कि स्थायी रोक लगाए जाने से पहले दोषसिद्धि पर अंतरिम रोक भी काम कर सकती है और राहुल गांधी को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा सकती है. इसकी पुष्टि होने तक एक अंतरिम रोक भी पर्याप्त है. हालांकि, आपराधिक मामलों में, अंतरिम रोक थोड़ी मुश्किल होती है क्योंकि दूसरा पक्ष हमेशा इसे तुरंत चुनौती दे सकता है.
इतना ही नहीं अगर दोषसिद्धि का फैसला रद्द नहीं होता है राहुल गांधी 2029 का भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. दरअसल अयोग्यता सजा पूरी होने के अगले 6 साल तक तक बनी रहती है.
अगर कोई हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट उनकी सजा पर रोक लगाता है, तो राहुल गांधी की संसद से अयोग्यता को रोका जा सकता था. जस्टिस नंदराजोग कहते हैं कि अगर राहुल गांधी ने अपनी अपील में, अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की है और कोर्ट आगे बढ़ती है और उस पर रोक लगाती है, तो वह अब अयोग्य नहीं होते. लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि स्टे उनके दोषसिद्धि पर होना चाहिए, न कि केवल सजा की अवधि पर.
गुजरात की एक अदालत ने गुरुवार, 23 मार्च को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई. राहुल गांधी ने कथित तौर पर 'मोदी' सरनेम का उपयोग करके विवादित स्पीच दी थी. इस मामले में कोर्ट ने राहुल गांधी को 30 दिनों के अंदर सजा के खिलाफ अपील दायर करने का मौका देने के लिए जमानत दी है.
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