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राजस्थान के भरतपुर के डीग-कामां व नगर क्षेत्र में आदि बद्री और कनकाचल में माइनिंग को पूरी तरह खत्म करने के लिए आत्मदाह का कदम उठाने वाले संत विजयदास की शनिवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो जाने के बाद शाम को बरसाना में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. संत विजयदास के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में संत समाज और समाज के लोग शामिल हुए. राजस्थान सरकार के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और शिक्षा मंत्री बीडीकल्ला उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. अंतिम संस्कार से पहले उनकी 16 साल की पोती को संत के अंतिम दर्शन कराए गए. शाम 6 बजे के करीब संत का अंतिम संस्कार माताजी गौशाला में किया गया. संत को मान मंदिर के साधु दीनदयाल दास ने मुखाग्नि दी.
खनन रोकने के लिए 551 दिन चले संतों के आंदोलन के दौरान 20 जुलाई को डीग स्थित पसोपा के पशुपतिनाथ मंदिर के 65 साल के महंत विजय दास ने खुद को आग लगा ली. वे 85 फीसदी झुलस गए. 23 जुलाई लगभग तड़के 3 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान महंत विजय दास का निधन हो गया. विजयदास अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण की परिक्रमा स्थली ब्रज चौरयासी कोस की प्राकृतिक छठा को नष्ट होने से रोकने के लिए संत समाज के साथ आंदोलन कर रहे थे.
4 जुलाई 2022 को आंदोलन से जुड़े बाबा हरिबोल दास ने खनन नहीं रुकने पर सीएम हाउस के बाहर आत्मदाह की चेतावनी दी. हरिबोल के साथ 14 साधु-संत आत्मदाह के लिए तैयार हो गए. इसमें बाबा विजय दास भी थे. संत समाज का मानना है कि ये पहाड़ियां ब्रज चौरासी कोस में आती हैं. संत समाज के मुताबिक ये पहाड़ियां तीर्थ स्थल हैं. विजयदास भी इसी सोच के साथ आंदोनल में शामिल हुए थे. श्रीकृष्ण और राधा के प्रति उनका भक्ति भाव इतना प्रगाढ़ था कि आत्मदाह के प्रयास के समय तन पर लगी आग के दौरान भी वे श्रीराधे-राधे का जाप कर रहे थे.
विजय दास हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बड़ाला गांव के रहने वाले थे. उनका जन्म 1957 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका जन्म का नाम मधुसूदन शर्मा था. 2009 में एक सड़क हादसे में मधुसूदन के बेटे और बहू की मौत हो गई. उस समय पोती दुर्गा 3 साल की थी. बेटे-बहू की मौत ने मधुसूदन को विचलित कर दिया. 2010 में वे पोती दुर्गा को लेकर बड़ाला से उत्तर प्रदेश में बरसाना के मान मंदिर आ गए और यहीं रहने लगे. बाद में उन्हें डीग के पशुपतिनाथ मंदिर में मंहत बना दिया गया. विजयदास के आत्मदाह के प्रयास के साथ ही राजस्थान सरकार हिल गई. जो बात सरकार ने 550 दिन के आंदोलन में नहीं मानी वो चंद घंटों में मान ली. संत समाज का मानना है कि विजयदास परमात्मा में लीन तो हो गए लेकिन अपने आराध्य श्रीकृष्ण के काम आए.
इस मामले में सियासत भी शुरु हो गई है. विजयदास के निधन के समाचार के बाद से ही विपक्षी दल गहलोत सरकार पर हमलावर हो गए. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीपी नड्डा ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पार्टी की तरफ से केन्द्रीय टीम का गठन किया है. टीम में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री राजस्थान प्रभारी अरूण सिंह, सीकर सांसद सुमेदानंद सरस्वती, सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतपाल सिंह और उत्तर-प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेश सांसद बृजलाल को शामिल किया है. यह टीम रविवार को मौके पर जाकर रिपोर्ट तैयार करेंगी और नड्डा को सौंपगी. मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिंया, पूर्व मुख्यमत्री वसुंधराराजे, आप पार्टी की तरफ से भी इस मामले में गहलोत सरकार पर निशाना साधा गया है.
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