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राजस्थान के साधु की दिल्ली में मौत, अवैध खनन के विरोध में किया था आत्मदाह

Bharatpur के सीकरी और पहाड़ी क्षेत्र में अवैध खनन के विरोध में बुधवार को साधु विजय दास ने खुद को आग लगाई थी.

Published
राज्य
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राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर जिले में अवैध खनन (Bharatpur Illegal mining) के विरोध में आत्मदाह करने वाले साधु विजय दास (Sadhu Vijay Das) की दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई. विजय दास का सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था. बीती रात करीब तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. जानकारी के मुताबिक विजय दास को दो दिन पहले गंभीर हालत में जयपुर से दिल्ली शिफ्ट किया गया था.

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बरसाना में होगा अंतिम संस्कार

संत विजय दास का पार्थिव शरीर दिल्ली से यूपी के बरसाना लाया जा रहा है, जहां श्रीवस्ती गौशाला में उनका अंतिम संस्कार होगा. पसोपा गांव के लोग भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बरसाना जा रहे हैं. वहीं राजस्थान सरकार की ओर से अंतिम संस्कार में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला, मंत्री लालचंद कटारिया और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के शामिल होने की सूचना है.

बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

अलवर से बीजेपी सांसद बाबा बालकनाथ ने साधु विजय दास की मौत पर दुख जताया है. कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने ट्वीट किया, "सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और खनन माफियाओं के साथ साझेदारी के कारण एक साधु को यह कदम उठाना पड़ा. निश्चित तौर पर इस हत्या की दोषी राजस्थान की गहलोत सरकार है. एक साधु का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और जनता इस सरकार को सबक अवश्य सिखाइए।"

वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि, "संत का आत्मदाह करना गहलोत सरकार के माथे पर ऐसा कलंक है जो सरकार के अंत का कारण बनेगा."

पूर्व मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने भी साधु विजय दास की मौत पर श्रद्धांजलि अर्पित की है. उन्होंने ट्वीट किया, "भरतपुर में सरकारी संरक्षण प्राप्त खनन माफियाओं के खिलाफ संघर्ष में आपने प्राणों को आहूत करने वाले संत विजयदास जी महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं."

550 दिन से चल रहा है आंदोलन

भरतपुर के सीकरी और पहाड़ी क्षेत्र में ब्रज भूमि पर अवैध खनन रोकने के लिए संत समाज पिछले 550 दिनों से आंदोलन कर रहा है. इस आंदोलन में संत विजय दास भी शामिल थे. बुधवार, 20 जुलाई को उन्होंने खुद को आग लगा ली, जिसके बाद शनिवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

इस मामले में हरि बोल बाबा भी मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह करने की चेतावनी दे चुके हैं. वहीं साधु नारायण दास मोबाइल टॉवर पर चढ़ गए थे, जिन्हें प्रशासन ने समझा-बुझाकर नीचे उतरा.

हरियाणा के रहने वाले थे संत विजय दास

संत विजय दास हरियाणा के बडाला गांव के रहने वाले थे. साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी. जिसके बाद वो अपनी पोती के साथ बरसाना के मान मंदिर आ गए थे. संत विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में डाल दिया था. वह संत रमेश बाबा के संपर्क में आए और साधु संतों की मंडली में शामिल हो गए.

इसके बाद बाबा विजय दास साल 2017 में आदिबद्री और कनकांचल इलाके में खनन को रोकने के लिए शुरू हुए आंदोलन से जुड़ गए. उन्हें डेढ़ साल पहले पसोपा गांव के पशुपति नाथ मंदिर का महंत बनाया गया.

मामले में गहलोत सरकार का एक्शन

साधुओं के विरोध प्रदर्शन और आत्मदाह का मामला सामने आने के बाद गहलोत सरकार ने सीकरी (पूर्व में नगर तहसील) और पहाड़ी तहसील की धार्मिक महत्व की पहाड़ियों पर सघन वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को हस्तांतरित करने की स्वीकृति दे दी है. इसके साथ ही इन क्षेत्रों में खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के भी निर्दश जारी किए हैं.

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