advertisement
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक टेलर की हत्या के बाद से जहां पूरे शहर में तनाव है, वहीं इसपर सियासत भी तेज हो गई है. 28 जून को कथित तौर पर नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले एक शख्स की गला रेतकर हत्या कर दी गई. हत्या के बाद दोनों आरोपियों ने वीडियो जारी कर इसकी जिम्मेदारी ली. पुलिस ने दोनों आरोपियों को राजसमंद के भीम से गिरफ्तार कर लिया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी जांच नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) को सौंप दी है, लेकिन इससे पहले इसकी जांच राजस्थान पुलिस कर रही थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया कि मामले की जांच केस ऑफिसर योजना (Case Officer Scheme) के तहत चल रही है.
राजस्थान की केस ऑफिसर योजना क्या है, जिसके तहत मामले की जांच शुरू हुई थी?
राजस्थान पुलिस ने साल 2004 में इस योजना को शुरू किया था. इस योजना के तहत, कट्टर अपराधियों के खिलाफ मामले और हत्या, बलात्कार आदि के कुछ सनसनीखेज मामले अधिकारियों को सौंपे जाते हैं, ताकि अधिकारी ट्रायल को करीब से फॉलो कर पाएं. अधिकारी, न्यायपालिका और अभियोजन पक्ष के साथ बेहतर संपर्क कर जल्दी सुनवाई की व्यवस्था करते हैं, कोर्ट में गवाह की उपस्थिति सुनिश्चित करते हैं और देखते हैं कि वो डर के कारण मुकर न जाएं.
राज्य सरकार के मुताबिक, राजस्थान पुलिस ने आरोपियों को मिलने वाली सजा की दर में सुधार लाने और कट्टर अपराधियों पर प्रभावी जांच रखने के लिए केस ऑफिसर योजना तैयार की है.
कैसे काम करती है योजना?
थाना स्तर पर मामले की पहचान की जाती है. कट्टर अपराधियों या सनसनीखेज मामलों में पुलिस उन ही मामलों की पहचान करती है, जिनमें सबूत मजबूत होते हैं और अपराधियों को सजा मिलने की संभावना ज्यादा रहती है.
मामलों की पहचान के बाद, हर इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर को एक मामला दिया जाता है और वो उस मामले का केस ऑफिसर कहलाता है. बड़े अधिकारी भी इन मामलों पर नजर बनाए रखते हैं.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान हर एक मामले के फॉलो-अप के लिए एक पुलिस अधिकारी को नॉमिनेट किया जाता है. उन्हें केस ऑफिसर कहा जाता है.
केस ऑफिसर पर क्या जिम्मेदारी होती है?
केस ऑफिसर का काम है कि वो आरोपी के मौजूदा मामले, सभी पुराने मामले का रिकॉर्ड रखे, उसकी निजी और फैमिली प्रोफाइल, और उसके साथियों की जानकारी हो.
केस ऑफिसर को कोर्ट की सुनवाई के दौरान मौजूद रहना होता है. ऑफिसर की ड्यूटी है कि वो सुनिश्चित करे कि कोर्ट द्वारा जारी गवाह और आरोपियों के समन और वारंट समय पर एग्जीक्यूट हो जाएं.
राजस्थान सरकार के मुताबिक, 2004 में योजना के लागू किए जाने के बाद से 30 सितंबर 2008 तक, इस योजना के तहत कुल 5389 मामले सलेक्ट किए गए थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)