advertisement
राजस्थान (Rajsthan) के रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लागत 27 हजार करोड़ तक बढ़ गई है.
साल 2017 में की राजस्थान सरकार और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कंपनी के साथ हुए एमओयू (Memorandum of Understanding) में पहले इस प्रोजेक्ट की लागत 43,129 करोड़ थी, जिसमें अब 70 करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार के तीसरी वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार पर प्रोजेक्ट में देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमने 2013 में इसकी आधारशिला रखवा दी थी, इसके बाद भी वसुंधरा सरकार ने अनावश्यक पांच साल तक इस प्रोजेक्ट को रोके रखा और पीएम मोदी को रिफाइनरी शिलान्यास के लिए बुला लिया.
इसके बाद वसुंधरा राजे सरकार में 16 जनवरी 2018 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाकर फिर से इसका शिलान्यास करवाया गया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि रिफाइनरी की लागत बढ़ गई है. एचपीसीएल के अफसर बोल नहीं रहे हैं, लेकिन मुझे पता है. सरकारें बदलती है, लेकिन योजनाओं नहीं, हमने कभी भी राजे की योजना को बंद नहीं किया, लेकिन उन्होंने हमारी किसी योजना को नहीं चलाया.
उन्होंने कहा कि देश में कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी विश्वविद्यालय चलाकर बंद किया गया हो.
राज्य सरकार और एचपीसीएल की तरफ से रिफाइनरी का कार्य अक्टूबर, 2022 तक पूर्ण होने की संभावना जताई जा रही थी. रिफाइनरी के पूरे हो जाने के 6-9 महीनों के बाद उत्पादन प्रारंभ होने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी होना माना जा रहा था.
अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान आने के बाद इस बात की प्रबल संभावना है कि यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो सकेगा. पहले स्थान, फिर प्रोजेक्ट पर विवाद रिफाइनरी की नींव अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में 2013 में यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गांधी के हाथ रखी गई थी.
उसके बाद सरकार बदलने से 2016 तक काम ठप रहा और जनवरी 2016 में पीएम मोदी ने रिफाइनरी का कार्य शुभारंभ किया.
इनपुट-पंकज सोनी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)