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14 साल की उम्र में शादी, अब 8 साल की ‘जंग’ के बाद मिली ‘आजादी’

जोधपुर की एक स्थानीय अदालत ने छोटा देवी के अनचाहे और गैरकानूनी बाल विवाह को रद्द कर दिया. 

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भारत
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(फोटो: क्विंट)
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"मैं 9वीं क्लास में थी, जब मेरी, मेरी दो सगी बड़ी बहन और दो चचेरी बहन की शादी करा दी गई, जो बालिग नहीं हुई थीं और तो और मुझसे भी छोटी थीं." 23 मई 2013 को जब छोटी देवी की उम्र महज 14 साल थी तब उसकी शादी करा दी गई थी, लेकिन 8 साल की लंबी लड़ाई, मानसिक तकलीफ, जाति पंचायत का आतंक, कथित पति की धमकी, पढ़ाई का छूट जाना, माता-पिता द्वारा घर से निकालाे जाने के बाद अब छोटा देवी 'आजाद' है.

लगभग आठ साल बाद, जोधपुर की एक स्थानीय अदालत ने छोटा देवी को महेंद्र सिहाग के साथ हुए अनचाहे और गैरकानूनी बाल विवाह को रद्द कर दिया है.

छोटा देवी कहती है कि जिसके साथ उसकी शादी हुई थी उसकी सही उम्र उसे पता नहीं है; शायद 2013 में वह 23 साल का था.

फैमिली कोर्ट के जज रूप चंद सुथार ने 2013 में हुए छोटा के बाल विवाह को अमान्य घोषित कर दिया.

अपने 19 मार्च के आदेश में, जज रूप चंद सुथार ने छोटा देवी के वकील द्वारा पेश याचिका का जिक्र करते हुए बताया: “वह नौवीं कक्षा में थी और शादी के बारे में उसका कोई विचार नहीं था. उसके माता-पिता ने उसे बाल विवाह के लिए मजबूर किया. 2016 में, उन्होंने जबरदस्ती उसे ससुराल भेज दिया और वह एक दिन के बाद वापस आ गई.”

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए छोटा देवी कहती है,

“उन्होंने मुझे बारहवीं कक्षा तक पढ़ने और घर पर रहने दिया. वह कभी-कभी मेरे स्कूल के बाहर आता था और मुझे परेशान करता था लेकिन मैं किसी तरह सब संभाला. हालांकि, स्कूल की पढ़ाई खत्म होते ही चीजें बहुत खराब हो गईं. वह मुझे घर आने के लिए कहने लगा. वह और उनका परिवार कहता कि अखबार पढ़ने लायक हो गई है, हमारे परिवार में कोई पढ़ा हुआ नहीं है, तू कहां जाएगी पढ़कर? वह खुद एक शराबी था और मैंने उसके साथ नहीं रहने का फैसला किया. लेकिन जब मैंने मना कर दिया, तो उसने मुझे और मेरे परिवार को धमकाना शुरू कर दिया.”

धमकी और गालियों से सामना, पढ़ाई में रुकावट

वह कहती है, “धमकी और गालियां बंद नहीं हुई और मुझे एक साल के लिए घर बैठना पड़ा. फिर, 2018 में बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा के दौरान, वह पिपरसिटी में कॉलेज के बाहर आए. यह उस दिन पॉलिटिकल साइंस का पेपर था. वह नशे में था और मुझसे बात करना चाहता था. मैं मुश्किल से कुछ लिख पाई और पीछे के गेट से भाग निकली. मैं पेपर पास नहीं कर पाई और फिर पढ़ाई छोड़नी पड़ी.”

छोटा देवी कहती है,

“मैंने कुछ गैर सरकारी संगठनों से संपर्क किया लेकिन या तो वे वापस नहीं आए या मुझे बताया कि उनके हाथ में नहीं है. फिर 2018 में मैंने कोर्ट में केस दायर किया. उस के बाद ससुराल वाले मेरे परिवार को धमकाने लगे और जाति-पंचायत ने मेरे परिवार पर ससुराल वालों को भुगतान करने का दबाव डाला. कभी उन्होंने 10 लाख रुपये मांगे, दूसरी बार उन्होंने कहा कि हमें 21 लाख रुपये या 25 लाख रुपये का भुगतान करना चाहिए. मेरे माता-पिता किसान हैं और उनके पास उस तरह का पैसा नहीं है. दबाव और डर के कारण, उन्होंने मुझसे बात करना बंद कर दिया और मुझे घर छोड़ने के लिए कहा गया”.

वह कहती है कि उसके दो भाइयों या दो बहनों में से किसी ने भी उसकी मदद नहीं की.

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जाति पंचायत का प्रेशर

छोटा देवी के वकील राजेंद्र सोनी बताते हैं, “जाति पंचायतें यहां के गांवों में प्रभावशाली हैं. जब यह तलाक की बात आती है, तो तलाक की मांग करने वाला पक्ष - चाहे वह दूल्हा हो या दुल्हन - को दूसरी तरफ 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता है.”

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कोरोना की मार

छोटा देवी ने अपनी जिंदगी गुजारने और आगे बढ़ने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ नौकरी भी शुरू की. छोटा देवी कहती हैं,

“मुझे जोधपुर में कार्निवल सिनेमा हॉल के टिकट काउंटर पर भी नौकरी मिली, जिसके लिए मुझे 8,400 रुपये मिलते थे. मैंने तब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी, और ऑनलाइन वीडियो देखा करती थी, हालांकि मैं कोचिंग के कोर्स नहीं कर सकती थी, क्योंकि उतने पैसे नहीं थे.”

वह कहती है कि सिनेमा हॉल में 11 महीनों तक काम किया, लेकिन 2020 में महामारी के कारण सिनेमा हॉल बंद हो गया. "मुझे कोरोनोवायरस के दौरान बहुत संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि मेरे पास छोड़ने के लिए बहुत कम पैसे थे."

इस बीच, फैमिली कोर्ट में, लड़के के परिवार ने दावा किया कि शादी और मुक्लावा [दूल्हे के घर पर दुल्हन भेजना] 2016 में हुआ था जब वो वयस्क हो गई थी. उन्होंने दावा किया कि छोटा देवी ने पहले एक हफ्ता उनके घर पर बिताया, और फिर एक महीने बाद एक महीना रही. उन्होंने कहा कि अगर छोटा देवी को मजबूर किया जा रहा था, तो वह शिकायत कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.

हालांकि कोर्ट में छोटा देवी ने साल 2016 में शादी की बात को नकार दिया और कहा कि अगर 2016 में भी शादी होती तब भी वो बालिग नहीं हुई थी. छोटा देवी ने अपने हाई स्कूल सर्टिफिकेट को कोर्ट में दिखाया जिसमें वो 2013 में 14 साल की थीं. हालांकि, उसके दावों के खिलाफ लड़के का परिवार कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर सका.

बाल विवाह अधिनियम की धारा 3 (1) को लागू करते हुए, जोधपुर जिला परिवार न्यायालय ने विवाह को शून्य माना. अधिनियम की धारा 3 (1) में लिखा है, "बाल विवाह उस अनुबंध पक्ष के विकल्प पर शून्य होगा जो विवाह के समय बच्चा था."

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