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किसान नेताओं ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों को निलंबित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि वे तब तक विरोध स्थल नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि तीनों कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मीडिया से बात करते हुए, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, हमारा विरोध जारी रहेगा. हम मांग कर रहे हैं कि सरकार तीनों कानूनों को निरस्त करे और हमारी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी के लिए एक कानून भी बनाए.
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों का विरोध जारी रहेगा, चाहे जितने दिन लगें
यह पूछे जाने पर कि क्या किसान शीर्ष न्यायालय द्वारा गठित पैनल में भाग लेंगे, इस पर टिकैत ने कहा, हम किसानों की मुख्य समिति में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और हम 15 जनवरी को होने वाली सरकार के साथ बैठक के लिए भी जाएंगे.
टिकैत की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के तुरंत बाद सामने आई है. शीर्ष अदालत ने एक समिति बनाने को कहा है, जिसमें ज्यादातर किसान शामिल होंगे, जो कानूनों के खिलाफ किसान यूनियनों की शिकायतों को सुनेंगे.
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को अगले आदेश तक स्थगित करने जा रहे हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत और बी. एस. मान को समिति में शामिल किया है, जो नए कृषि कानूनों के संबंध में किसानों के मुद्दों को सुनेंगे.
शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस के आवेदन पर नोटिस भी जारी किया, जिसमें किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने से रोकने की मांग की गई है.
एक किसान नेता जसप्रीत सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए कहा, हम इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. किसान पिछले चार महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, कम से कम 70 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है.
इससे पहले सरकार के साथ किसानों की बातचीत के आठ दौर अनिर्णायक रहे हैं। सरकार के साथ अगले दौर की वार्ता 15 जनवरी को होनी है.
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