Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Ramadan 2022: भारत में दिखा चांद, 3 अप्रैल को मुसलमान रखेंगे पहला रोजा

Ramadan 2022: भारत में दिखा चांद, 3 अप्रैल को मुसलमान रखेंगे पहला रोजा

Ramadan 2022 अब अगले एक महीने तक भारतीय मुसलमान रोजा (उपवास) रखेंगे.

वकार आलम
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Ramadan 2022</p></div>
i

Ramadan 2022

फोटो-क्विंट हिंदी

advertisement

भारत में रमजान (Ramadan) का चांद दिख गया है जिसका मतलब है कि कल यानि तीन अप्रैल को पहला रोजा होगा आज पहली तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी. रमजान के पूरे महीने दुनियाभर के मुसलमान रोजे रखते हैं और उसके बाद ईद का त्योहार मनाते हैं. इस बार ईद का त्योहार 2 मई या 3 मई को मनाया जा सकता है क्योंकि चांद दिखने के बाद ईद मनाई जाती है. फिलहाल रमजान शुरू हुए हैं. अब से भारत के मुसलमान पूरे एक महीने तक रोजे (उपवास) रखेंगे.

रोजा क्या है?

रोजा क्या होता है और इसके रखने का तरीका क्या होता है. इसको लेकर कई बार सवाल लोगों के मन में उठता है. दरअसल रोजा उसी तरीके से रखा जाता है जैसे हिंदू धर्म में वृत और ईसाई धर्म में फास्ट किया जाता है. बस फर्क इतना है कि रोजे में कुछ भी खाने या पीने की इजाजत नहीं होती है. सूरज निकलने से लेकर सूरज ढलने तक रोजेदार ना पानी पीते हैं और ना ही कुछ खाते हैं.

रमजान के महीने में पढ़ी जाती है तरावीह

तरावीह भी रमजान की इबादत का एक हिस्सा है. ये नमाज सिर्फ रमजान में ही अदा की जाती है. तरावीह में 20 रकात नमाज पढ़ते हैं और हर 4 रकात के बाद थोड़ा आराम लेते हैं. तरावीह का मतलब होता है लंबी नमाज.

सहरी क्या होती है ?

रोजा सहर के वक्त फज्र से शुरू होकर शाम को मगरिब की अजान तक चलता है. सहर का मतलब होता है सुबह. उस वक्त हम रोजे की नीयत कर मामूली रूप से रस्म अदायगी के तौर पर कुछ खाते हैं. सुबह के इसी खाने को सहरी कहा जाता है. फज्र की नमाज शुरू होने तक सहरी की जा सकती है.

इफ्तारी क्या होती है ?

इफ्तार का मतलब किसी बंदिश को खोलना होता है. रमजान के रोजों में दिन भर खाने-पीने की बंदिशें होती हैं. और शाम को मगरिब की अजान होते ही ये बंदिश खत्म हो जाती है. इसलिये इसे इफ्तारी कहा जाता है. खजूर से इफ्तार करने को इस्लाम में अफजल (प्राथमिकता) माना जाता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

रमजान के महीने में तीन अशरे होते हैं

वैसे रमजान के महीने का हर दिन अलग फजीलत रखता है लेकिन इस्लाम के अनुसार इस महीनों को 10-10 दिन के तीन अशरों (हिस्सों) में बांटा गया है. मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि पहला अशरा अल्लाह की रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत (माफी) का और तीसरा अशरा दोजख(नर्क) से निजात का है.

रोजा रखने किसे छूट?

कुरान और हदीस दोनों में इस बात का जिक्र है कि हर बालिग औरत और मर्द को रमजान के महीने में रोजे रखना फर्ज है. हालांकि इसमें उन लोगों को छूट है जो बीमार हो जाते हैं, बहुत बूढ़े हों, जिनके शरीर में रोजा रखने की ताकत ना हो और जो मानसिक रूप से बीमार हों.

लेकिन ऐसा नहीं है कि बीमार को पूरे तरीके से छूट दी गई है. इसमें मसला ये है कि जब बीमार ठीक हो जाये तो पहली फुर्सत में रोजा रखे औऱ अगर बीमारी लंबी चलती है तो 60 गरीबों को दोनों वक्त का खाना खिलाना होगा, या 60 गरीबों को पौने दो किलो गेहूं प्रति व्यक्ति देने होंगे. या फिर इसी के हिसाब से उन्हें पैसे अदा करने होंगे. अगर कोई सफर में है और रोजा नहीं रख पा रहा है तो सफर खत्म करते ही उसे रोजा रखने का हुक्म है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 02 Apr 2022,07:09 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT