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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने NPR के NRC से संबंध को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि NPR के डेटा का इस्तेमाल NRC में किया भी जा सकता है और नहीं भी. बता दें गृहमंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि NPR का NRC से कोई लेना-देना नहीं है. संडे एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में प्रसाद ने कहा कि एनआरसी के लिए राज्यों से परामर्श लिया जाएगा.
CAA या नागरिकता संशोधन अधिनियम के ज़रिए पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से आने वाले 6 धर्मों के प्रताड़ित लोगों को शरण दी जाएगी. इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है. इसी आधार पर बहुत सारे विरोधी इसे असंवैधानिक बता रहे हैं. क्योंकि पहली बार धर्म को आधार बनाकर नागरिकता दी जा रही है. जबकि हमारा संविधान धर्म, जाति, नस्ल का भेद स्वीकार नहीं करता. ऐसे में एक धर्म विशेष की नागरिकता को दोयम दर्जे का बनाने पर सवाल है.
यहीं बड़ा डर है. जाहिर है बड़ी संख्या में गरीब और आम लोग इतने पुराने दस्तावेज पेश नहीं कर पाएंगे. ऐसे में मुस्लिमों को छोड़कर बाकी लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम से नागरिकता साबित करने का जरिया होगा. लेकिन मुस्लिमों के पास यह विकल्प नहीं होगा.
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर या NPR में लोगों की सामान्य जानकारी ली जाती है. सरकार एक तय वक्त में कितने लोग देश में रह रहे है, इसकी जानकारी के लिए NPR करवाती है. इसमें नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं होता.
NRC के लिए केवल NPR की जानकारी का वेरिफिकेशन करवाना होगा. इसलिए NPR को NRC का बैकगेट कहा जा रहा है. अब तो रविशंकर प्रसाद ने भी साफ कहा है कि NPR की जानकारी का इस्तेमाल NRC के लिए किया जा सकता है.
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