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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के निदेशक मंडल ने नोटबंदी से पहले इसके शॉर्ट टर्म नकारात्मक असर के बारे में आगाह किया था. आरबीआई का यह भी कहना था कि ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने में नोटबंदी कोई खास कामयाब साबित नहीं होगी. इसके पीछे उसकी दलील दी थी कि ज्यादातर ब्लैक मनी कैश में नहीं है. इस बात का खुलासा आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में हुआ है.
गांधी और मूंदड़ा दोनों अब निदेशक मंडल में शामिल नहीं हैं. वहीं दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था. आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की तरफ से कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव पर पोस्ट किए गए बैठक के ब्योरे के मुताबिक, निदेशक मंडल की 561वीं बैठक में कहा गया था- ''ज्यादातर ब्लैकमनी नकद रूप में नहीं है, यह गोल्ड और अचल संपत्ति के रूप में है और इस कदम (नोटबंदी) का वैसी संपत्ति पर ठोस असर नहीं होगा.''
8 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. चलन से हटाए गए नोटों को जमा करने के लिए देश के नागरिकों को दिए गए 50 दिन के समय में 15.31 लाख करोड़ रुपये वापस आ गए थे. प्रवासी भारतीयों के लिए यह समयसीमा जून 2017 थी.
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