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आरबीआई के दस्तावेजों से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नोटबंदी का ऐलान करने से पहले आरबीआई ने इसके पक्ष में दी जा रही दो दलीलों को खारिज कर दिया था. पीएम ने कहा था कि काले धन और नकली नोटों का सर्कुलेशन खत्म करने के लिए नोटबंदी की जा रही है. लेकिन केंद्रीय बैंक इससे सहमत नहीं था.
दरअसल, इस राज का खुलासा अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को हाथ लगे मिनट्स से हुआ है. अखबार के हाथ आरबीआई की 561वीं बैठक से पहले के मिनट्स हाथ लग गए. नई दिल्ली में शाम साढ़े पांच बजे हड़बड़ी में बुलाई गई इस बैठक के मिनट्स पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के दस्तख्त थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ब्लैक मनी के बारे में आरबीआई का कहना था कि ज्यादातर ब्लैकमनी कैश के तौर पर नहीं बल्कि सोना और रियल एस्टेट के तौर पर जमा है. ऐसी संपत्तियों पर सरकार के इस कदम का कोई असर नहीं पड़ेगा.
आरबीआई ने सरकार के फैसले पर और कई सवाल उठाए थे. आरबीआई का कहना था कि इससे शॉर्ट टर्म में जीडीपी में गिरावट आएगी. ऐसा हुआ भी. वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घट कर तीन साल के निचले स्तर यानी 5.7 फीसदी पर पहुंच गई थी. हालांकि आरबीआई ने फाइनेंशियल इनक्लूजन और डिजिटल इकनॉमी को रफ्तार देने की कोशिश के मोर्चे पर सरकार की तारीफ की थी.
ऐसा नहीं था. मिनट्स से पता चलता है कि नोटबंदी को लेकर सरकार और आरबीआई के बीच ऐलान से छह महीने पहले तक बातचीत होती रही थी. हालांकि मिनट्स में कहा गया था कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद जनता के व्यापक हित में सर्कुलेशन में मौजूद 500 और 1000 के नोट वापस ले लिए जाएं.
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