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RBI गवर्नर बोले, कृषि कर्जमाफी से पहले खजाना देख लें राज्य सरकारें

शक्तिकान्त दास ने कहा है कि कृषि कर्ज को सामान्य रूप से माफ करने के चलन से कर्ज की संस्कृति पर बुरा असर पड़ता है

क्विंट हिंदी
भारत
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास
(फोटो: पीटीआई)

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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि कृषि कर्ज को सामान्य रूप से माफ करने के चलन से कर्ज की संस्कृति पर बुरा असर पड़ता है. इससे कर्ज लेने वालों का व्यवहार बिगड़ता है. गवर्नर दास का यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल में कई राज्य सरकारों ने कृषि कर्ज को सामान्य तरीके से माफ करने की घोषणा की है.

हाल ही में तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की है. कांग्रेस ने इन राज्यों में चुनाव से पहले किसानों से सामान्य कर्जमाफी का वादा किया था.

कर्ज माफी से संबंधित एक सवाल के जवाब में आरबीआई गवर्नर ने कहा, “चुनी गई सरकारों को अपने वित्त के संबंध में फैसले लेने का अधिकार है, लेकिन हर राज्य सरकार को इस तरह का कोई निर्णय करने से पहले अपने ‘राजकोष में इसके लिए गुंजाइश' पर सावधानी से गौर करना चाहिए”

आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा:

‘‘राज्य सरकार को यह भी देखना चाहिए क्या उनके खजाने में इसके लिए गुंजाइश है और क्या वे बैंकों को तत्काल कर्ज का पैसा चुका सकती है. सामान्य कर्ज माफी कर्ज संस्कृति पर असर डालती है. साथ ही इससे कर्ज लेने वालों के भविष्य के व्यवहार पर भी असर पड़ता है.”
RBI (फोटो: Bloomberg)

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 1.47 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज बकाया है. हाल में इन राज्यों ने कृषि कर्ज माफ करने की घोषणा की है. 2017 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा पंजाब ने किसानों के बकाया कर्ज को माफ करने की घोषणा की थी. इसी साल कर्नाटक की गठबंधन सरकार ने भी किसानों का कर्ज माफ किया है.

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पिछले हफ्ते सरकार ने संकेत दिया था कि 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई है, क्योंकि चलन में पर्याप्त मात्रा में ये नोट हैं. आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा था कि इन नोटों की छपाई अनुमानित जरूरत के हिसाब से की जाती है.

आरबीआई ने किसानों की कर्ज माफी को कर्ज संस्कृति के लिए सही नहीं बताया(फोटो: क्विंट हिंदी) 

सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, ‘‘प्रणाली में 2000 के नोट पर्याप्त मात्रा में हैं और इस समय चलन में कुल नोटों के मूल्य का 35 फीसदी 2000 के नोटों का है.”

अंतरिम लाभांश पर एक सावल के जवाब में दास ने कहा, ‘‘सरकार और रिजर्व बैंक के बीच काफी पत्राचार होता है. विचार विमर्श होता है. कोई एक पत्र विशेष लिखा गया है या नहीं यह कोई वास्तविक मायने नहीं रखता. अंतरिम लाभांश पर जब भी केंद्रीय बैंक कोई फैसला करेगा तो उसकी तुरंत घोषणा की जाएगी.'' बता दें कि पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक ने सरकार को 10,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया था.

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