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आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसद की स्थायी समिति के सामने पेश हुए. समिति ने उनसे नोटबंदी, बैंकों के बढ़ते और रिजर्व बैंक की स्वायत्तता से जुड़े सवाल पूछे. पटेल ने इनका जवाब देने के लिए दस दिन का वक्त मांगा है. हाल में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को लेकर सरकार और इसके बीच टकराव के बाद पटेल से इनसे जुड़े सवाल पूछे जाने की संभावना जताई जा रही थी.
सूत्रों की मानें तो संसदीय समिति आरबीआई गवर्नर से कई पक्षों पर उनका जवाब मांगे गए. इनमें नोटबंदी, एनपीए, इकनॉमी आदि पर पटेल का पक्ष था उर्जित पटेल ने इन सवालों का जवाब देने क लिए दस दिन का वक्त मांगा है.
कहा जा रहा है कि आरबीआई गवर्नर और संसदीय समिति के बीच होने वाली इस मीटिंग में पिछले कई दिनों से चल रहे मतभेदों पर भी चर्चा हुई. जिन भी मुद्दों पर आरबीआई और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई थी उन पर उर्जित पटेल की ओर से खुल कर विचार रखे जाने की खबर है.
बता दें कि इसस पहले भी केंद्रीय बैंक बोर्ड की कई घंटे तक चली एक बैठक हुई थी. जिसमें आरबीआई के रिजर्व और लिक्विडिटी को लेकर गंभीर चर्चा हुई. इस बैठक में सरकार और आरबीआई के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति बनी थी. हालांकि कुछ मुद्दों पर आरबीआई और बोर्ड की सहमति नहीं बनी. इन मुद्दों को भी आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के सामने उठाया जा सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ अड़ने के बाद आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इसके बाद यू-टर्न ले लिया था. पहले सवाल उठ रहा था कि क्या सरकार आरबीआई को अपना काम नहीं करने दे रही है. इसके तुरंत बाद सरकार की तरफ से जारी बयान में सरकार ने कहा कि RBI एक्ट के दायरे में रिजर्व बैंक को ऑटोनॉमी मिली है, जोकि जरूरी है और ये सबको मंजूर है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भारत की तमाम सरकारें इस ऑटोनॉमी का सम्मान करती रही हैं. सरकार और रिजर्व बैंक दोनों जनहित और भारतीय इकनॉमी के हित के मुताबिक काम करती हैं.
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